कोर्ट 10 दिसम्बर को अगली सुनवाई करेगी
इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश
के प्राथमिक विद्यालयों में 72 हजार 825 अध्यापकों की नियुक्तियां इलाहाबाद हाईकोर्ट
में दायर याचिकाओं पर पारित आदेश के अधीन होंगी। हाईकोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिकाओं
पर प्रदेश सरकार एवं नेशनल काउंसिल फार टीर्चस एजूकेशन (एनसीटीई) व अन्य विपक्षियों
से 28 नवम्बर तक जवाब मांगा है। इन याचिकाओं पर कोर्ट 10 दिसम्बर को अगली सुनवाई करेगी।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड व न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खण्डपीठ ने नीरज कुमार राय व कई अन्य की याचिकाओं पर दिया है। याचिका दायर कर एनसीटीई के उस प्रावधान को चुनौती दी गयी है जिसके द्वारा प्राथमिक स्कूलों में प्रशिक्षु अध्यापकों के चयन के लिए बीए, बीएससी व बीकाम के साथ बीएड में 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता की गयी है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का कहना था कि 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता सही नहीं है। कहा गया था कि इस शर्त की वजह से अन्य अंडर ग्रेजुएट डिग्रीधारक इसकी काउंसिल में शामिल होने से वंचित हो जा रहे हैं। कहा गया कि एनसीटीई की यह शर्त गलत व विभेदकारी है। दूसरी तरफ एनसीटीई के वकील आरए अख्तर का कहना था कि एनसीटीई को केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार योग्यता तय करने का हक है। इस कारण जब तक केन्द्र सरकार दुबारा निर्देश जारी नहीं करती तब तक एनसीटीई को निर्धारित योग्यता में फेरबदल करने का हक नहीं है। प्रदेश सरकार की तरफ से स्थाई अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय का तर्क था कि सहायक अध्यापकों के चयन के लिए निर्धारित योग्यता का मानक एनसीटीई की इस संबंध में जारी अधिसूचना पर आधारित है। कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशानुसार चयन की प्रक्रिया जारी है। कोर्ट ने इस चयन में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड व न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खण्डपीठ ने नीरज कुमार राय व कई अन्य की याचिकाओं पर दिया है। याचिका दायर कर एनसीटीई के उस प्रावधान को चुनौती दी गयी है जिसके द्वारा प्राथमिक स्कूलों में प्रशिक्षु अध्यापकों के चयन के लिए बीए, बीएससी व बीकाम के साथ बीएड में 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता की गयी है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का कहना था कि 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता सही नहीं है। कहा गया था कि इस शर्त की वजह से अन्य अंडर ग्रेजुएट डिग्रीधारक इसकी काउंसिल में शामिल होने से वंचित हो जा रहे हैं। कहा गया कि एनसीटीई की यह शर्त गलत व विभेदकारी है। दूसरी तरफ एनसीटीई के वकील आरए अख्तर का कहना था कि एनसीटीई को केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार योग्यता तय करने का हक है। इस कारण जब तक केन्द्र सरकार दुबारा निर्देश जारी नहीं करती तब तक एनसीटीई को निर्धारित योग्यता में फेरबदल करने का हक नहीं है। प्रदेश सरकार की तरफ से स्थाई अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय का तर्क था कि सहायक अध्यापकों के चयन के लिए निर्धारित योग्यता का मानक एनसीटीई की इस संबंध में जारी अधिसूचना पर आधारित है। कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशानुसार चयन की प्रक्रिया जारी है। कोर्ट ने इस चयन में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया
शिक्षक भर्ती की कट-ऑफ जारी
नहीं हुई
72825 शिक्षक भर्ती की
कट-ऑफ जारी
नहीं हुई
72825 Teacher
Recruitment,
आज लोकल अख़बारों
में शिक्षक भर्ती
की कट ऑफ
नहीं देखने को
मिली ,
अब या तो
आज शाम तक
वेबसाइट के माध्यम
से या फिर
कल लोकल अख़बारों
में कट ऑफ
देखने को मिल
सकती है
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