अमर उजाला ब्यूरो
72 हजार सहायक अध्यापकोें की भर्ती का मामला
हाईकोर्ट के निर्णय के आधीन रहेंगी नियुक्तियां
इलाहाबाद। स्नातक में 45 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के सवाल पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि मामले में नियुक्तियां याचिका पर हुए अंतिम निर्णय पर निर्भर करेंगी। नीरज कुमार राय और 30 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। मामले में सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
याचिका में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए एनसीटीई द्वारा समय-समय पर निर्धारित अर्हता को चुनौती दी गई है। इसके अनुसार सहायक अध्यापक में चयन के लिए स्नातक में पचास फीसदी या 45 फीसदी अंक पाना अनिवार्य है। याचीगण का कहना है कि उन लोगों का स्नातक में 45 प्रतिशत से कम अंक है लेकिन परास्नातक में पचास या 45 फीसदी से अधिक अंक है।
एनसीटीई द्वारा पूर्व में निर्धारित योग्यता के अनुसार स्नातक या परास्नातक में से किसी एक में 45 प्रतिशत अंक होना चाहिए। याचीगणों का इसी आधार पर बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश हुआ।
उन्होंने टीईटी की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। बाद में एनसीटीई ने 2008 में अधिसूचना जारी कर नियम में संशोधन कर दिया। नए नियम में पीजी को हटा दिया गया मात्र स्नातक में 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता कर दी गई।
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