शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने स्वार्थो के लिए शिक्षामित्रों के समायोजन में रोस्टर की उड़ाई धज्जियां
बांदा, जागरण संवाददाता : अपने कारनामों को लेकर विवादों से घिरे शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों के रोज नए-नए कारनामें खुलकर सामने आ रहे हैं। शिक्षामित्रों के समायोजन में संपूर्ण रिक्त विद्यालयों की सूची न निकालकर बाद में संशोधन कर लाखों के वारे-न्यारे किए गए। बेसिक शिक्षा विभाग की इस कार्यप्रणाली से क्षुब्ध कई राजनैतिक दलों के लोगों ने सचिव को जहां पत्र सौंपने की बात कही है। वहीं विभाग के भ्रष्टाचार पर जांच कर कार्रवाई की मांग की है।
विभाग से जुड़े लोगों का आरोप है कि शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के समय रोस्टर प्रणाली न अपनाकर शासनादेश की खूब धज्जियां उड़ाई गई। वहीं संशोधन के नाम पर भी आधा सैकड़ा से अधिक समायोजित सहायक शिक्षकों को इधर से उधर किया जा चुका है। अब कुछ लोगों से सांठ गांठ कर मिचुअल का ‘खेल’ खेला जा रहा है। भाजपा जिलाध्यक्ष बालमुकुंद शुक्ला ने पूर्व में इस बावत बेसिक शिक्षा मंत्री सहित केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री को पत्र लिखा था। अब वह पुन: बेसिक शिक्षा सचिव से मुलाकात कर वह चिट्ठी सौंपेंगे। वहीं शिक्षक संघ के कई पदाधिकारियों ने भी इस बावत सचिव को शिकायती पत्र देने का मन बनाया है। उनका आरोप है कि नियुक्ति के समय संपूर्ण रिक्त विद्यालयों को ससमय सार्वजनिक न कर बाद में धनराशि लेकर शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया। बेसिक शिक्षा विभाग ने 4 अक्टूबर 2014 को सूचना के अधिकार के तहत दिए जवाब में ऐसे शिक्षामित्रों की संख्या जाहिर की है जिसमें बड़ोखर ब्लाक के 22 शिक्षामित्रों को उनके पूर्व के तैनाती स्थल व अगल-बगल के विद्यालय दिए गए। इसी तरह महुआ के 14, नरैनी-14, तिंदवारी-8, जसपुरा-11, कमासिन-9, बबेरू-7, बिसंडा-12 शिक्षामित्र शामिल है। कुछ को संशोधन के नाम पर नियुक्ति पत्र जारी होने के बाद बदला गया है ऐसे शिक्षामित्रों से सहायक अध्यापक पद पर समायोजित होने वालों की संख्या 13 है।
मामला सचमुच गंभीर है, अगर शासनादेशों का उल्लंघन हुआ है तो किसी भी कीमत पर दोषियों को बख्सा नहीं जाएगा। मामले की जांच कराई जाएगी। 1- सुरेश कुमार, जिलाधिकारी।
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