Thursday, December 5, 2013

टीईटी की मुश्किलें: Akhir Kyo Sarkar SC Jane par Majboor Hue

By Daink Jagran:

  • 2011 की मेरिट के सत्यापन में दिक्कतें
  • रिजल्ट में संशोधन के छह हजार आवेदन लंबित
  • परीक्षा प्राधिकारी के पास टीईटी का रिजल्ट भी उपलब्ध नहीं
  • निरस्त विज्ञापन के आधार पर चयन में कठिनाई

जागरण ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती के मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का सरकार का फैसला यूं ही नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश से सहमी सरकार को उर्दू शिक्षकों के साथ ही जूनियर हाईस्कूल के गणित और विज्ञान शिक्षकों की भर्ती पर ग्रहण लगने का खतरा तो है ही, अदालत के फरमान को अमली जामा पहनाने में आने वाली व्यावहारिक दिक्कतों ने भी महकमे के अधिकारियों की पेशानी पर बल डाल दिए हैं।
हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन के आधार पर शिक्षकों की भर्ती करने में सबसे बड़ी समस्या आवेदनों की भारी भरकम संख्या है। उस समय 68 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जो मैनुअल थे। बीएड अर्हताधारकों को शिक्षक नियुक्त करने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2014 है। बेसिक शिक्षा महकमे के लिए मैनुअली प्राप्त हुए 68 लाख आवेदनों के आधार पर चयन प्रक्रिया को चार महीने में निपटाना संभव नहीं है। एक और व्यावहारिक दिक्कत यह है कि टीईटी के रिजल्ट की शुचिता पर तो सवालिया निशान लगा है लेकिन उसकी मेरिट का सत्यापन किया जाना संभव नहीं है। वजह यह कि टीईटी 2011 आयोजित कराने वाले यूपी बोर्ड के परीक्षा प्राधिकारी ने बेसिक शिक्षा विभाग को बताया है कि उनके पास टीईटी का रिजल्ट उपलब्ध नहीं है। परीक्षा से जुड़े अभिलेख पुलिस अभिरक्षा में हैं और अभी भी उनके कार्यालय में परीक्षाफल संशोधन के तकरीबन छह हजार आवेदन पत्र लंबित हैं। शुचिता के मद्देनजर ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश के आधार पर शासन ने टीईटी को सिर्फ पात्रता परीक्षा बनाया। हाईकोर्ट ने 30 नवंबर 2011 के जिस विज्ञापन के आधार पर शिक्षकों की भर्ती करने को कहा है, वह विज्ञापन निरस्त होने के बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का आवेदन शुल्क वापस किया जा चुका है। जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन शुल्क नहीं लिया, उनके बैंक ड्राफ्ट की वैधता छह महीने बीतने के बाद खत्म हो चुकी है। ऐसे में निरस्त किए गए विज्ञापन के आधार पर चयन की कार्यवाही करने में कठिनाई है। वहीं यदि सरकार पुराने विज्ञापन के आधार पर चयन की कार्यवाही करती है तो उसे नये विज्ञापन के तहत प्राप्त हुए 68,98,070 अभ्यर्थियों को उनका आवेदन शुल्क वापस करने में नाकों चने चबाने होंगे।

By Amar Ujala: 



शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट पर करेगी सरकार
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
लखनऊ (ब्यूरो)। राज्य सरकार प्राइमरी स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट के आधार पर ही करेगी। इसके लिए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल की जाएगी। इसके लिए देश के नामी वकीलों को हायर करने के लिए अधिकारियों की एक टीम दिल्ली भेजी गई है, ताकि फैसला जल्द आ सके और लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाए।
प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती की कवायद नवंबर, 2011 से शुरू हुई थी जो अभी तक चल रही है। तत्कालीन बसपा सरकार ने 30 नवंबर, 2011 को टीईटी मेरिट पर भर्ती का विज्ञापन निकाला था, लेकिन सत्ता बदलने के बाद सपा सरकार ने 7 दिसंबर, 2012 को शैक्षिक मेरिट के आधार पर भर्ती का विज्ञापन निकालकर आवेदन लिया। टीईटी पास कुछ बीएड वालों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाया। इस पर हाईकोर्ट ने 20 नवंबर को राज्य सरकार को टीईटी मेरिट पर शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया।
बेसिक शिक्षा विभाग का मानना है कि टीईटी मेरिट पर शिक्षकों की भर्ती के लिए यदि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली बदली गई तो बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी और उर्दू शिक्षकों की हुई 11,008 नियुक्तियां फंस जाएंगी। इसके अलावा उच्च प्राइमरी स्कूलों में विज्ञान व गणित के शिक्षकों की होने वाली भर्ती भी आगे चलकर फंस सकती है। शैक्षिक मेरिट से शिक्षकों की भर्ती में कोई समस्या नहीं आएगी, जबकि टीईटी मेरिट से शिक्षकों की भर्ती में अधिकतम 7200 टीईटी पास बीएड वालों को ही फायदा हो सकता है। सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार के इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी स्वीकार कर लिया है। इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करने का निर्णय किया गया है।


See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml

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