थीसिस
के साथ के
साथ देनी होगी
ग्राउंड वर्क की
ब्रीफ रिपोर्ट
• अमर
उजाला ब्यूरो
लखनऊ।
एलयू में अब
पीएचडी करने वाले
रिसर्च स्कॉलर से थिसिस
जमा करवाते समय
एक ब्रीफ रिपोर्ट
भी समिट करवाई
जाएगी। इसमें उसे लिखना
होगा कि उसका
टॉपिक क्या था
और उसने किस
तरह ग्राउंड वर्क
किया। थीसिस के
साथ जमा होने
वाली इस रिपोर्ट
की काॅपी की
जांच एलयू करवाएगा
और विशेषज्ञों की
हरी झंडी के
बाद ही पीएचडी
अवार्ड होगी। अगर किसी
स्टूडेंट का टॉपिक
ऐसा हुआ, जिस
पर पहले रिसर्च
हो चुकी है
और उसने उसमें
पहले हुई रिसर्च
की हूबहू कॉपी
की है तो
उसकी पीएचडी रद्द
कर दी जाएगी।
वहीं, अब जितनी
भी पीएचडी होंगी,
सबकी एक ब्रीफ
रिपोर्ट एलयू की
वेबसाइट पर अपलोड
कर दी जाएगी,
ताकि उसका पूरा
ब्यौरा ऑनलाइन उपलब्ध हो
और उसे कोई
कभी भी देख
सके।
एलयू
प्रशासन ने यह
कदम अभी हाल
ही में साहित्यिक
चोरी के आरोप
में एमबीए विभाग
के शिक्षक डॉ.
नीरज कुमार पर
हुई कार्रवाई के
बाद उठाया है।
उन्होंने साहित्यिक चोरी कर
रीडर से प्रोफेसर
पद पर प्रोन्नति
हासिल कर ली
थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन
ने उनकी पदोन्नति
रद्द कर दी
थी। इसके बाद
अब एलयू प्रशासन
ने दूसरा अहम
कदम यह उठाया
है कि पीएचडी
करने वाले रिसर्च
स्कॉलर का भी
पूरा एक डाटा
बेस तैयार किया
जाए और उसके
साथ उनकी थीसिस
में टॉपिक और
कंटेंट की भी
जांच करवाई जाए।
अभी तक ऐसी
कोई व्यवस्था नहीं
है कि एलयू
में रिसर्च स्कॉलर
की थीसिस की
कोई रिपोर्ट जमा
करवायी जाए। विश्वविद्यालय
प्रशासन का कहना
है कि रिसर्च
में कहीं कोई
गड़बड़ी नहीं होनी
चाहिए। इसके अलावा
जो भी स्टूडेंट्स
पीएचडी कर रहे
हैं वह एकदम
साफ-सुथरा रिसर्च
करें।
फिलहाल
इसे पकड़ने के
लिए अभी कोई
सिस्टम डवलप नहीं
हो पाया है।
अब एलयू प्रशासन
जब रिसर्च स्कॉलर
से पीएचडी की
थीसिस के साथ-साथ एक
अलग से ब्रीफ
रिपोर्ट लेगा तो
उसकी जवाबदेही भी
तय होगी।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
No comments:
Post a Comment