Friday, November 1, 2013

परीक्षा में विलम्ब बना आयोग के गले की फांस्

इलाहाबाद (एसएनबी)। उप्र लोक सेवा आयोग की लेटलतीफी उसके गले की फांस बन गयी है। तमाम अभ्यर्थियों ने इस आधार पर आयु सीमा में छूट देने की मांग की है कि यदि आयोग ने समय रहते परीक्षा करायी होती तो वे ओवरएज न होते। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आयोग की लेटलतीफी से अभ्यर्थियों के अवसर खोने को गंभीरता से लेते हुए सक्षम प्राधिकारी से आयु सीमा में छूट देने के मामले में दो माह में विचार कर निर्णय लेने को कहा है। कोर्ट ने सक्षम प्राधिकारी को 1992 की नियमावली के तहत जिन वर्षो में परीक्षा नहीं हुई, उस वर्ष की जुलाई माह में अधिकतम आयु सीमा तय करते समय लोक सेवा आयोग से विमर्श कर निर्णय लेने को कहा है। कोर्ट ने आयोग को आदेश दिया है कि जब तक सक्षम प्राधिकारी निर्णय नहीं लेते तब तक आयोग या तो ओवर एज हो चुके अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने दे अथवा निर्णय आने तक वर्ष 2008 व 2013 की अधीनस्थ सेवाभर्ती परीक्षा को टाले रखे। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने श्रीप्रकाश श्रीवास्तव सहित कई अभ्यर्थियों की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। याचियों का कहना था कि 2005, 2006, 2007 में परीक्षा आयोजित न किये जाने के कारण उन्हें भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के अवसर पर वंचित किया गया। याचिकाओं में आयु के कटआफ डेट को चुनौती दी गयी। 2008 में 900 पदों की भर्ती होनी है। कोआपरेटिव सोसायटी एवं पंचायत के आडिटर लेखा परीक्षक की भर्ती होनी है। 2013 की परीक्षा में भी समान मुद्दा उठाये जाने के कारण सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई हुई। न्यायालय ने तमाम नियमावलियों का हवाला देते हुए 1992 की नियमावली को प्रभावी करार दिया और कहा कि इसी नियमावली से आयु निर्धारण में छूट का निर्णय लिया जाए। आयु सीमा में छूट देने के मामले में दो माह में निर्णय लेने का निर्देश अधीनस्थ से वा भर्ती परीक्षा

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