Friday, October 4, 2013

पीएचडी दाखिले में आरक्षण का पेंच



अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। एलयू में पीएचडी में दाखिले के लिए आरक्षण का पेंच फंस गया है। आरक्षण के नियम पुख्ता ढंग से लागू किए बगैर ही पीएचडी में प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई। अब आरक्षण व्यवस्था को किस आधार पर लागू किया जाए इसे लेकर बहस छिड़ गई है। अभी पीएचडी कोर्सेज में जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) पास अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर दाखिला देने के लिए वेरिफिकेशन का काम किया जा रहा है।विवाद खड़ा होने के बाद अब जेआरएफ पास स्टूडेंट को पीएचडी में दाखिले आरक्षण के नियमों के अंतिम रूप से तय होने के बाद ही मिलेंगे। यानि इन अभ्यर्थियों को अभी दाखिले के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। आरक्षण को लेकर उठे सवालों के बाद एलयू के कार्यवाहक कुलपति प्रो. एके सेन गुप्ता ने एक कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी की शुक्रवार की शाम को बैठक होगी
कमेटी में पूर्व प्रवेश समन्वयक प्रो. राजीव पांडेय, एलयू में लीगल सेल के डायरेक्टर डॉ. डीएनएस यादव, यूजीसी एकेडमिक स्टॉफ कॉलेज के डायरेक्टर प्रो. पद्मकांत, प्रवेश प्रक्रिया से जुड़े केमेस्ट्री विभाग के प्रो. अनिल मिश्रा शिक्षाशास्त्र विभाग की डॉ. अमिता बाजपेई शामिल है। यह कमेटी तय करेगी कि पीएचडी में अंतिम रूप से अभ्यर्थियों को किस प्रकार प्रवेश दिया जाए। बीते वर्षों में पीएचडी में दाखिले के लिए जो व्यवस्था थी उसके तहत सीटों को ओपन कैटेगरी, ओबीसी, एससी एसटी कैटेगरी में विभाजित किया जाता था। ओपन कैटेगरी में सामान्य वर्ग के स्टूडेंट के अलावा ओबीसी एससी-एसटी के ऐसे अभ्यर्थी जो ऊंची रैंक वाले हैं उन्हें भी मौका दिया जाता था। मगर इस बार यह व्यवस्था लागू करने को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। वहीं लखनऊ विवि के प्रवक्ता प्रो. एनके पांडेय ने बताया कि पीएचडी में जो भी सीटें हैं उन्हें विभागवार आरक्षण के निर्धारित मानकों के अनुरूप भरा जाएगा और दाखिला दिया जाएगा।
जेआरएफ स्टूडेंट को अब अंतिम निर्णय के बाद ही मिलेंगे दाखिले
 


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