लखनऊ:
आरटीओ साहब ‘मंत्री’ बोल रहा हूं। आपके पास मेरे खास मित्र आ रहे हैं,
इनको वीआईपी वाहन नंबर चाहिए। इस नंबर को तत्काल बुक कर लो जब आए तो दे
दीजिएगा। संभागीय परिवहन दफ्तर में रौब दिखाने वाली ये ‘नेतागीरी’ खत्म
होनी वाली है। जल्दी ही वीआईपी नंबर के लिए जो पहले पंजीयन कराएगा वही इसे
पाएगा। यह नई व्यवस्था परिवहन विभाग में प्रभावी होने वाली है।
इससे प्रदेश भर के संभागीय परिवहन दफ्तरों (आरटीओ) में वीआईपी वाहन नंबर
के आवंटन में होने वाली घूसखोरी और संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) की
मनमानी भी खत्म होगी। इस नई व्यवस्था के तहत नंबर की प्रत्येक सीरीज के कुल
246 वीआईपी नंबरों को पाने के लिए वाहन मालिकों को विभागीय वेबसाइट पर
ऑनलाइन पंजीयन कराना पड़ेगा।
वाहन मालिक का यह पंजीयन तब माना जाएगा जब उसके नाम के बैंक खाते से
वीआईपी नंबर के शुल्क की धनराशि ऑनलाइन परिवहन विभाग के खाते में ट्रांसफर
हो जाएगी। परिवहन विभाग इस योजना को एनआईसी के सहयोग से अंतिम रूप देने में
जुटा है। इसके लिए एनआईसी के द्वारा साफ्टवेयर तैयार किया गया है जिसका
परीक्षण चल रहा है।
यह साफ्टवेयर जिस दिन से कार्य करना शुरू कर देगा उसी दिन से वीआईपी नंबरों का ऑनलाइन पंजीयन अनिवार्य कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि यह नई व्यवस्था डेढ़ महीने में लागू हो जाएगी।
यह साफ्टवेयर जिस दिन से कार्य करना शुरू कर देगा उसी दिन से वीआईपी नंबरों का ऑनलाइन पंजीयन अनिवार्य कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि यह नई व्यवस्था डेढ़ महीने में लागू हो जाएगी।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
No comments:
Post a Comment