Friday, October 18, 2013

एक विद्यालय ऐसा भी




कुशीनगर : एक तरफ जहां संसाधन व शिक्षक के अभाव में परिषदीय विद्यालयों के शिक्षण स्तर में दिन-प्रतिदिन गिरावट की बात हो रही वहीं एक विद्यालय ऐसा भी है जहां के बच्चे निजी स्कूलों को मात दे रहे हैं। यहां तैनात शिक्षकों की दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन से ऐसा हो सका है जो अब क्षेत्र के लिए नजीर बना हुआ है।
हम बात कर रहे हैं सेवरही विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय परसौन की। दैनिक प्रार्थना के उपरांत कतारबद्ध बच्चों में अपरिचित के आने पर भी खड़े हों उसका संस्कारित रुप में अभिवादन करना, उनके व्यवहार में है। इतना ही नहीं सामान्यत: सरकारी स्कूलों में कमजोर अंग्रेजी की अभिभावकों के पारंपरिक सोच को झुठलाते हुए यहां बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी में आपको बात करते मिल जाएंगे।
अनुशासन व एकता की डोर में बंधे बच्चे शिक्षक कार्य के दौरान अपने सहपाठियों को पूरा सम्मान देते हुए उनकी मदद को भी तत्पर रहते हैं। ऐसा कैसे के सवाल पर प्रधानाध्यापक राजेश कुमार श्रीवास्तव, सहायक अध्यापक विनोद कुमार सिंह, शिक्षा मित्र गण कन्हैया प्रसाद व आशा बताती हैं कि यहां बच्चों को संस्कारित बनाना पहली प्राथमिकता है। इसके बाद शिक्षा की राह भी आसान हो जाती है।
उपस्थिति भी बेहतर
- गुरुवार को विद्यालय में कक्षा 1 में नामांकित 62 के सापेक्ष 54, कक्षा 2 में 63 के सापेक्ष 39, कक्षा 3 में 29 के सापेक्ष 19, कक्षा 4 में 23 के सापेक्ष 14 व कक्षा 5 में 26 के सापेक्ष 18 बच्चे उपस्थित मिले।
मन से हो प्रयास तो कुछ भी मुश्किल नहीं : प्रधानाध्यापक
- प्रधानाध्यापक राजेश श्रीवास्तव कहते हैं कि मन से प्रयास हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। स्नेह भरे वातावरण की ही देन है कि विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति 95 फीसद से अधिक की रहती है। अभिभावक भी बच्चों से संतुष्ट रहते हैं।
विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष कपिलदेव प्रसाद व प्रधान प्रतिनिधि ग्यासुद्दीन अंसारी कहते हैं कि अभिभावक अपने पाल्यों की पढ़ाई से संतुष्ट है।
 


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