Friday, October 4, 2013

यूपी पुलिस भर्ती में हाई कोर्ट ने आरक्षण पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला।
नवभारत टाइम्स | Oct 3, 2013, 08.44PM IST
प्रमुख संवाददाता
इलाहाबाद।। प्रदेश में 35500 पुलिस कर्मियों की भर्ती में अब उन जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा जिनका प्रतिनिधित्व सरकारी सेवाओं में पूरा हो चुका है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐसी जातियों को आरक्षण देने पर रोक लगा दी है, जिनको आरक्षण का इतना लाभ मिल चुका है उनका प्रतिनिधित्व पर्याप्त संख्या में है। हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने अपने आदेश में साफ किया है कि सरकार पर्याप्त प्रतिनिधित्व का मतलब यह समझे कि आरक्षित वर्ग के जिन लोगों को व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से 50 प्रतिशत तक सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व मिल चुका है, उनको इस आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
कोर्ट ने सुमित कुमार शुक्ला और तीन अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि पुलिस विभाग में किया गया चयन अथवा नियुक्ति जो आरक्षित श्रेणी के पदों पर की गई है वह याचिका पर पारित अंतिम आदेश पर निर्भर करेगा। कोर्ट ने सरकार को यह छूट दी है कि वह चाहे तो इस आदेश संशोधन अथवा स्पष्टीकरण के लिए या अंतरिम आदेश बदलने के लिए हलफनामे के साथ अर्जी दे सकता है। सरकार को अपना जवाब लगाने के लिए एक महीने का वक्त दिया। कोर्ट का मानना है कि सरकारी सेवाओं में कुछ विशेष जाति के आरक्षित वर्ग को प्रतिनिधित्व पर्याप्त मात्रा में मिल चुका है। इसलिए प्रथम दृष्टया कोर्ट इस बात से सहमत है कि उनको आरक्षण देने का औचित्य नहीं है।
इन जातियों पर पड़ सकता है असर
हाई कोर्ट में दाखिल शपथपत्र में 2001 की जनगणना के मुताबिक पिछले सालों में मिले ओबीसी, एससी/एसटी को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रतिनिधित्व उनकी आवश्यकता से अधिक हो गया है। शपथ पत्र में कहा गया है कि एससी श्रेणी के मोची, घूसिया, जाटव का ग्रुप''श्रेणी की सेवाओं 60.93 प्रतिशत है। ग्रुप'बी'सेवाओं में 68.93, ग्रुप'सी'में 61.23 तथा ग्रुप'डी'में 45.50 प्रतिशत तक हो गया है। उक्त तीनों श्रेणी के लोगों का प्रदेश की सेवाओं में जोड़कर 59.67 प्रतिनिधित्व हो गया है। इसी प्रकार कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी के अहिर, यादव, यदुवंशी और ग्वाला का भी प्रतिनिधित्व सरकारी नौकरियों में अधिक है।
 


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