Sunday, June 16, 2013

विश्वविद्यालयों में भर्ती का होगा रास्ता साफ

विश्वविद्यालयों में भर्ती का होगा रास्ता साफ

6राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में होगा संशोधन16यूजीसी विनियम को लागू करने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी1


राजीव दीक्षित1लखनऊ : राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्तियों का रास्ता जल्दी साफ होगा। शिक्षकों की रुकी हुईं प्रोन्नतियां भी हो सकेंगी। इन दिक्कतों को दूर करने के लिए राज्य सरकार उप्र राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की कवायद जारी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और अन्य अकादमिक स्टाफ की नियुक्ति के बारे में वर्ष 2010 में विनियम जारी किये थे। विनियम में विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों के चयन के लिए गठित की जाने वाली समितियों के स्वरूप में बदलाव किया गया है। 1 शिक्षकों के पदनाम भी बदले गए हैं। लेक्चरर को असिस्टेंट प्रोफेसर और रीडर को एसोसिएट प्रोफेसर का नया पदनाम दिया गया है। यह प्रावधान उप्र राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 से संचालित होते हैं। यूजीसी विनियम 2010 के इन प्रावधानों को अमल में लाने के लिए अधिनियम में संशोधन करना होगा। अधिनियम में संशोधन के लिए लंबे समय से जिद्दोजहद चल रही है लेकिन किसी न किसी वजह से यह हो नहीं पाया। विधानमंडल के बीते बजट सत्र में भी अधिनियम में संशोधन के लिए कवायद हुई थी लेकिन किन्हीं कारणों से यह प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूर नहीं हो पाया था। अब अधिनियम में संशोधन कर इन प्रावधानों को अमल में लाने के लिए अब अध्यादेश लाने की तैयारी चल रही है। अध्यादेश के प्रारूप में यूजीसी की मंशा के अनुसार प्रवक्ता का पदनाम बदलकर असिस्टेंट प्रोफेसर और रीडर का एसोसिएट प्रोफेसर करने का प्रस्ताव है। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए चयन समितियों के स्वरूप में भी बदलाव प्रस्तावित है। राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 30 प्रतिशत से ज्यादा सृजित पद खाली हैं। यूजीसी विनियम के प्रावधान न लागू होने की वजह से शिक्षकों के रिक्त पदों पर न तो नियुक्तियां हो पा रही थीं और न ही प्रोन्नतियां। इस गतिरोध को दूर करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने अध्यादेश का प्रारूप तैयार कर लिया है जिसे न्याय, वित्त और कार्मिक विभाग ने अनुमोदित भी कर दिया है। प्रारूप पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिलने के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। 1आयुर्वेदिक व यूनानी कालेजों को संबद्धता दे सकेंगे विवि1अध्यादेश के प्रारूप में प्रावधान किया गया है कि राज्य विश्वविद्यालय अब अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले जिलों में आयुर्वेदिक और यूनानी कॉलेजों को संबद्धता दे सकेंगे। इसके लिए अधिनियम के संबंधित प्रावधान में संशोधन किया जाएगा। अभी प्रदेश में स्थापित होने वाले आयुर्वेदिक और यूनानी कॉलेजों को संबद्धता देने का अधिकार सिर्फ कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के पास है।1

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