Tuesday, October 28, 2014

काला धनः केंद्र पर बरसे केजरीवाल, किया 15 नामों का खुलासा



FUNNY QUOTE ON SOCIAL MEDIA : भारत सकार ने पुष्टि की है की बीवी के मेकअप के ख़र्चे से दुखी लोग जो आफ़िस मे छुपा के पैसे रखते है उसे काला धन नही कहते
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केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में काले धन पर दिए गए हलफनामे में तीन नामों का खुलासा किए जाने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी 15 और नाम गिना दिए और दावा किया कि इन लोगों ने भी बड़ी मात्रा में काला धन जमा किया हुआ है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार इन लोगों को बचाना चाहती है इसलिए इन नामों पर पर्दा डाला जा रहा है। केजरीवाल ने जिन 15 नामों का खुलासा किया उनमें मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, कोकिलाबेन अंबानी, नरेश गोयल, संदीप टंडन और अनु टंडन का नाम शामिल है। केजरीवाल ने कहा, 'दो साल पहले 9 नवंबर, 2012 को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए ही इन नामों का खुलासा किया था। लेकिन, तब कांग्रेस पार्टी की सरकार ने इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की थी और अब बीजेपी की सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी है।'
केजरीवाल ने मीडिया को दोनों सरकारों द्वारा इन15 लोगों को बचाने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा, 'पहले लोकसभा चुनाव और फिर हाल के हरियाणा एवं महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों ने हजारों करोड़ रुपये खर्च किए। यह पैसे कहां से आए?' आप संयोजक ने इशारों ही इशारों में यह जता दिया कि चुनावों में दोनों पार्टियों की फंडिंग उन्हीं लोगों ने की, जिनके नाम वह (केजरीवाल) गिनवा रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा कि कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़े औद्योगिक समूह के अस्पताल का उद्घाटन किया था। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट समेत सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को सीधा संदेश गया कि इन्हें (औद्योगिक समूह के मालिक को) नहीं छूना है। केजरीवाल का इशारा मुकेश अंबानी की ओर था। प्रधानमंत्री मुंबई में अंबानी समूह की ओर से आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि थे, जिसमें अमिताभ बच्चन, सचिन तेंडुलकर समेत फिल्म और खेल जगत की कई हस्तियां शामिल हुई थीं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि पीएम ने जिन 9 प्रभावशाली लोगों को स्वच्छता अभियान का ब्रैंड ऐंबैस्डर बनाया, उनके खिलाफ कोई एंजेसी कार्रवाई करने से पहले सौ बार सोचेगी। उन्होंने कहा कि पीएम जिन लोगों से अपनी निकटता जाहिर करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है
News Sabhaar : नवभारतटाइम्स.कॉम| Oct 27, 2014, 06.00PM IST
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कालाधन की आरोपी राधा टिम्बलू ने बीजेपी को दिया था करोड़ों का चंदा
 प्रदीप बर्मन, राधा टिम्बलू और पंकज चमनलाल
काला धन मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर तीन नामों का खुलासा किया है. सोमवार सुबह से इस बाबत गोवा की खनन कारोबारी राधा सतीश टिम्बलू, डाबर ग्रुप के चेयरमैन प्रदीप बर्मन और राजकोट के कारोबारी पंकज चमनलाल का नाम चर्चा में रहा. लेकिन शाम ढलते-ढलते इलेक्शन कमीशन वॉच की एक खबर ने इसे नया मोड़ दे दिया. मामले में नया खुलासा यह है कि टिम्बलू प्राइवेट लिमिटेड ने बीते 9 वर्षों में सिर्फ बीजेपी को 1.18 करोड़ रुपये चुनावी चंदा दिया है.
राजनैतिक दलों के लिए कॉरपोरेट कंपिनयों से चंदे की चाहत कोई नई बात नहीं है. लेकिन इलेक्शन कमीशन वॉच की खबर ने कालाधन मामले में नया रोमांच जरूर जोड़ दिया है. इसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2011-12 के बीच राधा टिम्बलू ने बीजेपी को 1.18 करोड़, जबकि 7 वर्षों में कांग्रेस को 65 लाख रुपये का चंदा दिया है. यही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2011-12 में राजकोट के चमनभाई लोढ़िया ने भी बीजेपी को 51 हजार रुपये का चंदा दिया है.
गौरतलब है कि देश में 13 इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं, जिनमें सिर्फ 7 सीबीडीटी से अप्रूव हैं. इसके पीछे कारण यह है कि इन ट्रस्ट का निर्माण 2013 में सीबीडीटी रूल्स आने के बाद हुआ. बाकी छह ट्रस्ट सीबीडीटी से अप्रूव नहीं हैं इसलिए नियमों के मुताबिक वह चंदा देने के क्रम में इस बाबत कोई जानाकरी साझा नहीं करते.
सीबीडीटी नियमों के मुताबिक सभी 7 ट्रस्ट को अपने चंदे की जानकारी निर्वाचन आयोग को देनी होती है. दिलचस्प यह भी है कि बाकी 6 ट्रस्ट ने भी वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2011-12 के बीच 105 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिसकी बारे में निर्वाचन आयोग को अधि जानकारी नहीं है.
इसका अर्थ यह हुआ कि जानकारी के अभाव में यह कहना मुश्कि है कि बाकी 6 ट्रस्ट के जरिए कंपिनयों ने दलों को जो चंदा दिया वह वाकई टैक्स से छूट का आधार था या कालेधन को सफेद करने का एक तरीका. जाहिर तौर पर खुलासों और कालेधन के इस दौर में जरूरत इस बात की भी है कि बाकी 6 इलेक्टोरल ट्रस्ट चंदे की रकम के बारे में विस्तार से जानकारी दें ताकि सही मायने में कालेधन पर स्थिति साफ हो सके. इन 6 ट्रस्ट में जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट, इलेक्टोरल ट्रस्ट, कॉरपोरेट इलेक्टोरल ट्रस्ट, भारती इलेक्टोरल ट्रस्ट और सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट के नाम शामिल हैं.
News Source : http://aajtak.intoday.in/story/black-money-timblo-pvt-ltd-donated-a-total-of-1.83-crores-to-bjp-in-nine-years-1-785283. html
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राम जेठमलानी और स्वामी क्या चाहते हैं?
भारत सरकार को यूरोप के देशों से 800 भारतीयों के बैंक खातों की सूची मिली थी. राम जेठमलानी और सुब्रमण्यम स्वामी उन लोगों के नाम सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं जिनके नाम यूरोप से दी गई सूची में शामिल हैं. बीजेपी जब विपक्ष में थी तब उसने मनमोहन सरकार से लिस्ट को सार्वजनिक करने की जोरदार मांग की थी.


हर जगह से सवाल हो रहा है. लिस्ट को सार्वजनिक करने में जो समस्या यूपीए सरकार बताती थी वही मुश्किल बीजेपी सरकार बता रही है.
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136 नाम ही क्यों बता जाएंगे?
सरकार 136 खाताधारियों का नाम कोर्ट को बता सकती है. सवाल उठ रहा है आखिर 136 नाम ही क्यों.
भारत सरकार के पास यूं तो विदेशी बैंकों के 800 भारतीय खाताधारकों के बारे में जानकारी है पर सरकार का कहना है कि वो सिर्फ इनमें से 136 लोगों के नाम ही बता सकती है.
सरकार का कहना है कि जिन खाताधारकों के खिलाफ भारतीय अधिकारी आरोप दायर कर रहे हैं, सरकार उनके नाम अदालत के सामने उजागर कर देगी. सभी खाता धारकों का नाम इसलिए नहीं बताया जा सकता क्योंकि जरूरी नहीं कि सभी खाताधारी काला धन रखते हों.
वरिषठ वकील राम जेठमलानी ने पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और अब उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिख कर सवाल पूछा है कि आखिर सभी 800 विदेशी खाताधारकों के नाम बताने में क्या परेशानी है. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सवाल किया है.
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कहां से आया 800 खाताधारियों के नाम
विदेशी बैंकों में जिन 800 खाताधारियों के नाम सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है आखिर उनका नाम भारत में आया कैसे.
भारत से काला धन इकठ्ठा कर विदेशी बैंकों में जमा करने वालों के राज़ धीरे-धीरे खुलना शुरू हुआ. जेनेवा में फ़्रांस सरकार ने भारत को 700 बैंक खातों की सूची सौंपी, जिसके बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज इन खातों की जांच में जुट गया. जर्मनी ने भी भारत सरकार को उन लोगों के नाम की सूची सौंपी जिनके विदेशी खातों में पैसे जमा हैं.
News Sabhaar : ABP News




Teesree Counseling Kee Tayaree Shuru Ho Gayee

72825  Teacher Recruitment
Mool Prman Patron Ko Jama Karne Vaale Candidates Kee Information Mangee Gayee


उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम में परिचालकों (कंडक्टरों) के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी

डेस्क: उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम में परिचालकों (कंडक्टरों) के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है। जारी की गई कुल 1690 रिक्तियों में ओबीसी के लिए 394 पद, एससी के लिए 72 पद और एसटी के लिए 20 पद आरक्षित हैं। अन्य शेष पदों पर अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। इन रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य भारतीय उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।
आयु सीमा के तहत इन पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष तथा अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष है। आयु सीमा में छूट केवल उत्तर प्रदेश के आरक्षित वर्ग को ही दिए जाएंगे। वेतनमान के तहत इन पदों पर चयनित उम्मीदवारों को 5200 – 20200 रुपये तथा ग्रेड पे क्रमशः 1900 रुपये दिया जाएगा।
शैक्षिक योग्यता के तहत इन पदों पर ओवदन करने वाले उम्मीदवार ने मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से बारहवीं कक्षा पास की हो अथवा 10वीं कक्षा पास करने के बाद सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किसी संस्थान से बारहवीं के समकक्ष डिप्लोमा प्राप्त किया हो। इन पदों पर चयन के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इस परीक्षा में उत्तीर्ण उम्मीदवार को मेडिकल परीक्षण (मेडिकल टेस्ट) के लिए बुलाया जाएगा।
आवेदन शुल्क के तौर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 500 रुपये तथा आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को 250 निश्चित प्रक्रिया से जमा कराना होगा। इन पदों पर आवेदन केवल ऑनलाइन स्वीकार किए जाएंगे। ऑनलाइन आवेदन करने तथा आवेदन संबंधी अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की वेबसाइट www.upsrtc.com पर लॉग ऑन करें।

शासन सख्त : सीएम के निरीक्षण ने दिलाई शैक्षिक गुणवत्ता की याद : कमी मिली तो नपेंगे खंड व बेसिक शिक्षा अधिकारी

लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शासन की ओर से समय-समय पर भले ही लंबे-चौड़े आदेश-निर्देश जारी किये जाते रहे हों, लेकिन नतीजा सिफर है। न तो जमीनी स्तर पर शासन के निर्देशों का पालन हो रहा है और न अधिकारी शासन की मंशा के अनुरूप काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के मोहनलालगंज ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय भसंडा के निरीक्षण के बाद बेसिक शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। विभाग की ओर से सोमवार को जारी शासनादेश में चेताया गया कि उच्चाधिकारियों द्वारा स्कूलों के निरीक्षण में यदि कमियां पायी जाती हैं तो संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री के निरीक्षण में परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता की कलई खुलने पर शासन स्तर पर जब समीक्षा हुई तो पता चला कि स्कूलों के निरीक्षण के लिए तकरीबन दो महीने पहले आदेश जारी होने के बावजूद अब तक शासन को अफसरों द्वारा किए गए निरीक्षणांे की जानकारी नहीं दी गई है। यह तब है जब परिषदीय स्कूलों में चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की निगरानी और समीक्षा के लिए शासन बीते 11 अगस्त को राज्यस्तरीय टास्क फोर्स भी गठित कर चुका है। लिहाजा शासन ने परिषदीय स्कूलों के शैक्षिक स्तर में सुधार और उनमें चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की समीक्षा और निगरानी के लिए सोमवार को दो शासनादेश जारी किए हैं। इनके जरिए विद्यालयों में शैक्षणिक स्तर सुधारने और स्कूलों में संचालित कार्यक्रमों की निगरानी व समीक्षा पर जोर दिया गया है।

शासनादेश में कहा गया है कि टास्क फोर्स के अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि शिक्षक रोज अपनी कक्षा के हर बच्चे से गिनती-पहाड़ा सुनें और वर्णमाला व पुस्तक के मुताबिक बच्चों को लिखना-पढ़ना, समझना सिखाएं। दूसरे शासनादेश में कहा गया है कि स्कूलों के निरीक्षण में खंड व बेसिक शिक्षा अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। लिहाजा निदेशक की ओर से खंड व बेसिक शिक्षा अधिकारियों को स्कूलों का नियमित निरीक्षण करने के निर्देश जारी किए जाएं। इसमें वह विभिन्न चीजों की गुणवत्ता के साथ विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर का भी मूल्यांकन करेंगे।

परिषदीय स्कूलों में खराब पढ़ाई पर शासन सख्त

लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मोहनलालगंज के प्राथमिक स्कूल में निरीक्षण के दौरान मिली खामी के बाद शासन सख्त हो गया है। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने सोमवार को एक आदेश में साफ कहा कि परिषदीय स्कूलों में किसी भी तरह की खामी मिलने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी व ब्लॉक एजूकेशन आफिसर (बीओई) सीधे जवाबदेह होंगे। 
मुख्यमंत्री 20 अक्तूबर को प्राथमिक विद्यालय भसंडा मोहनलालगंज लखनऊ में निरीक्षण करने गए थे। उन्होंने इस दौरान मिड-डे-मील के अलावा पढ़ाई की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी। सचिव ने कहा है कि बेसिक शिक्षा मंत्री बैठक में यह हमेशा निर्देश देते हैं कि अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और शिक्षकों को पढ़ाने में रुचि लेने के लिए प्रेरित करेंगे। इसके बावजूद बीएसए व बीईओ निरीक्षण और स्कूली शिक्षा की सुधार में रुचि नहीं ले रहे हैं।
सचिव ने अब साफ निर्देश दिया है कि बीएसए व बीईओ स्कूलों का नियमित निरीक्षण करेंगे। इस दौरान मिड-डे-मील, मुफ्त यूनिफार्म वितरण, पाठ्य-पुस्तक की गुणवत्ता के साथ शैक्षिक स्तर को विशेष रूप से देखेंगे। साथ ही विद्यार्थियों में किताबी जानकारी के साथ सामान्य ज्ञान का स्तर संतोषजनक होना सुनिश्चित कराएंगे। इसके बाद उच्चाधिकारियों को अगर निरीक्षण में खामियां मिली तो बीएसए व बीईओ के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
निरीक्षण न होने पर जताई नाराजगी
लखनऊ। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने स्कूलों का निरीक्षण नियमित न होने और शासन को जांच आख्या उपलब्ध न कराए जाने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि शासनादेश है कि मंडलीय और निदेशालय स्तर के अधिकारियों का टास्क फोर्स बनाते हुए स्कूलों का निरीक्षण कराया जाएगा और इसकी रिपोर्ट शासन को दी जाएगी। इसके बावजूद अधिकारी इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं।