Wednesday, September 18, 2013

डायट में होगी प्रवक्ताओं की भर्ती


एससीईआरटी शीघ्र ही लोक सेवा आयोग को भेजेगा प्रस्ताव लखनऊ (ब्यूरो) प्रदेश में वर्षों बाद जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में प्रवक्ता के रिक्त पदों पर भर्तियां शुरू होने जा रही हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं
प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने रिक्त पदों का जिलेवार ब्यौरा मांगा है। इसके अनुमान के मुताबिक प्रदेश भर के डायट में करीब 1250 पद रिक्त हैं। जिलों से स्पष्ट ब्यौरा मिलने के बाद एससीईआरटी इन पदों पर भर्तियां शुरू करने के लिए लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजेगा। शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए जिला स्तर पर डायट की स्थापना की गई है। प्रदेश में करीब 20 साल पहले डायट में प्रवक्ता पदों पर भर्तियां की गई थीं। इसके बाद से भर्तियां बंद हैं। रिक्त पदों पर राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्यों या बीएसए स्तर के अधिकारियों को वरिष्ठ प्रवक्ता पदों पर तैनाती करते हुए काम चलाया जा रहा है। इसके चलते शिक्षकों का प्रशिक्षण प्रभावित हो रहा है। राज्य सरकार ने रिक्त पदों पर भर्ती के लिए अलग से नियमावली बनाई है। इसे उत्तर प्रदेश शिक्षक शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा नियमावली नाम दिया गया है। इसमें प्रवक्ता पद का वेतनमान 4800 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य पदों की विसंगतियां भी समाप्त कर दी गई हैं। अब नई नियमावली के आधार पर भर्तियां की जाएंगी। एससीईआरटी की तैयारी है कि लोक सेवा आयोग भर्ती प्रक्रिया इसी साल शुरू कर दे, ताकि नया साल शुरू होते ही डायट को नए प्रवक्ता मिल जाएं।


बीटीसी’ की बाध्यता ने घटाया बीएड का क्रेज

  • सीधे नौकरी नहीं मिलने से पाठ्यक्रम से हुआ मोहभंग

  • शून्य अंक पर दाखिले का मौका, फिर भी सीटें खाली 1


वाराणसी : एक दौर था, जब बीएड करने के बाद अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर सीधे विशिष्ट बीटीसी (बेसिक टीचिंग सर्टिफिकेट) में प्रवेश मिल जाता था। तत्पश्चात, छह माह की ट्रेनिंग के बाद सीधे प्राथमिक स्कूलों में नौकरी यानी तैनाती मिल जाती थी। अब इसका रास्ता बंद हो गया। 1 एनसीटीई (नेशनल काउंसिल आफ टीचर एजुकेशन) ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि वर्ष 2014 से प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की सीट बीएडधारक से न नहीं बल्कि बीटीसी से भरा जाए। दूसरी तरफ नियुक्ति के बाद टीईटी यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता ने भी बीएड का क्रेज गिरा दिया है। छात्रों का कहना है कि बीएड करने के बाद मेरिट के आधार पर पहले विशिष्ट बीटीसी के जरिए नौकरी मिल जाती थी। अब बीटीसी अनिवार्य हो गया है तो क्यों बीएड किया जाय। बीएड के बाद दो वर्ष जब बीटीसी करना होगा तो इससे अच्छा कि बीटीसी किया जाय। यही वजह है कि शून्य अंक पर कालेज दाखिला लेने को तैयार है बावजूद प्रदेश के विभिन्न कालेजों में 30 हजार सीटें खाली पड़ी है। हालांकि इन रिक्त सीटों को देखते हुए आयोजक संस्था दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि अब चौथे चरण की काउंसिलिंग कराने की तैयारी कर रहा है। 1महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षा शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. अरविंद कुमार पांडेय ने कहा कि बीएड की सीटें रिक्त रहने के कई कारण है। उनमें सबसे प्रमुख कारण प्राथमिक विद्यालयों में बीएड डिग्रीधारकों का चयन पर रोक लगा देना है। उन्होंने कहा कि दूसरा कारण ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कालेजों में रिक्त हैं। छात्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कालेजों से बीएड नहीं करना चाहते है।1संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रेमनारायण सिंह ने कहा कि जब से विशिष्ट बीटीसी में बीएड डिग्रीधारकों का चयन रोक दिया गया है। साथ ही शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य कर दी गई। तब से बीएड का क्रेज गिर गया है। माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती काफी लंबित है। ऐसे में बीएड करने से छात्र कतरा रहे हैं।


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शिक्षकों के प्रशिक्षण की होगी वीडियोग्राफी




लखनऊ (ब्यूरो) बेसिक शिक्षा के प्राइमरी उच्च प्राइमरी स्कूलों के भाषा, विज्ञान गणित शिक्षकों को पांच दिन का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण की खास बात यह होगी कि इसकी वीडियोग्राफी फोटोग्राफी भी कराई जाएगी। सर्व शिक्षा अभियान की राज्य परियोजना निदेशक अमृता सोनी ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) प्राचार्यों और बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेजा है। इसमें कहा गया है कि रोजाना प्रशिक्षण की वीडियोग्राफी फोटोग्राफी होने पर डायट प्राचार्य, बीएसए जिला समन्वयक उत्तरदायी होंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में वर्ष 2013-14 के सेवारत शिक्षकों के प्रशिक्षण को मंजूरी भी दे दी गई है। शिक्षकों का प्रशिक्षण पांच दिन का होगा। प्रशिक्षण ब्लाक एवं नगर संसाधन केंद्रों पर दिया जाएगा। इसमें वित्तीय सहायता प्राप्त विद्यालयों एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों तथा अनुदानित मदरसों के कक्षा एक से पांच तक पढ़ाने वाले अधिकतम पांच तथा 6 से 8 तक पढ़ाने वाले अधिकतम तीन शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए 3314.02 लाख रुपये का बजट भी दिया गया है।
 

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शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति की जाए



लखनऊ (एसएनबी) शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति समेत छह सूत्री मांगों को लेकर प्रशिक्षित बीपीएड संघर्ष मोर्चा के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने मंगलवार को विधानभवन के सामने धरना प्रदर्शन कर अपरनगर मजिस्ट्रेट के माध्यम से सम्बोधित ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप यादव ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि शारीरिक शिक्षा को प्राथमिक स्तर से अनिवार्य विषय के रूप में लागू कर दिया गया है।
उसके बाद भी शारीरिक शिक्षा एवं शिक्षकों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। धरने पर बैठे शिक्षकों ने सरकार से शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक स्तर से करने, जूनियर हाईस्कूलों में सौ बच्चों की अनिवार्यता खत्म करते हुए सभी स्कूलों में उनके पदों को सृजित करने, सरकार द्वारा संचालित एवं सहायता प्राप्त बेसिक, माध्यमिक एवं इण्टरमीडिएट विद्यालयों में सव्रे कराकर शारीरिक शिक्षा के पद सृजित करने तथा जूनियर हाईस्कूलों में की गई अनुदेशक भर्ती में प्रत्येक जिले में रिक्त सीटों पर कांउसलिंग कराकर भरने की मांग की।

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Tuesday, September 17, 2013

19 Tarikh ko 72825 ki sunvai ki date hai

TET CASE UPDATE.
THE CASE NO 149/13 IS UNLISTED
ON 19 SEPT HEARING
This is an UNCERTIFIED copy for
information/reference. For
authentic copy please refer to
certified copy only. In case of any
mistake, please bring it to the
notice of Deputy Registrar(Copyi
ng).
HIGH COURT OF JUDICATURE AT
ALLAHABAD
?Court No. - 35
Civil Misc. Listing Application No.
269185 of 2013:
In:
Case :- SPECIAL APPEAL No. - 149 of
2013
Appellant :- Sujeet Singh And
Others
Respondent :- State Of U.P. And
Others
Counsel for Appellant :- Navin
Kumar Sharma,Shailendra
Counsel for Respondent :- C.S.C.
Hon'ble Laxmi Kanta Mohapatra,J.
Hon'ble B. Amit Sthalekar,J.
List with previous papers on
Thursday i.e. on 19th September,
2013 as "Unlisted".
Order Date :- 16.9.2013
Arun K. Singh

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नकारेपन से हाथ से निकले नये हाईस्कूल


जागरण ब्यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) को लेकर माध्यमिक शिक्षा विभाग का नकारापन राज्य सरकार के लिए भारी पड़ा है। आरएमएसए के तहत पिछले वर्षो में मंजूर किये गए नये हाईस्कूलों के निर्माण की धीमी गति और इनमें शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से नाराज केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में राज्य में सिर्फ शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े जिलों में ही नये हाईस्कूलों की मंजूरी देने पर सहमति जतायी है।
राज्य सरकार ने आरएमएसए के तहत चालू वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र को जो प्रस्ताव भेजा था, उसमें 1396 नये हाईस्कूलों को स्वीकृति दिये जाने की मांग की गई थी। इससे पहले केंद्र सरकार ने आरएमएसए के तहत उप्र में 2009-10 में 254, 2010-11 में 318 और 2011-12 में 449 नये हाईस्कूल मंजूर किये थे। लंबा समय गुजर जाने के बाद भी सरकार इन जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं कर पायी है। राजकीय जूनियर हाईस्कूलों को अपग्रेड कर हाईस्कूल बनाये गए इन विद्यालयों में अन्य स्कूलों के शिक्षक अटैच करके पढ़ाई की खानापूर्ति की जा रही है। हाईस्कूलों के निर्माण की प्रगति भी संतोषजनक नहीं है। इन तथ्यों से नाराज केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय सोमवार को नई दिल्ली में आरएमएसए के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में राज्य सरकार की ओर से मांगे गए नये हाईस्कूलों को स्वीकृति देने से मना कर दिया।
इस पर पीएबी की बैठक में गए माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने दुहाई दी कि यदि उप्र के लिए नये हाईस्कूल नहीं स्वीकृत किये जाएंगे तो इससे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत माध्यमिक विद्यालयों में प्रवेश दर बढ़ाने की मुहिम को धक्का लगेगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने मंत्रालय से अनुरोध किया कि वह राज्य में शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े जिलों में नये हाईस्कूल स्वीकृत कर दे। फिलहाल मंत्रालय ने इस पर अपनी सहमति जता दी है। उसने इस संबंध में राज्य सरकार से नया प्रस्ताव मांगा है।
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'केंद्र ने शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े जिलों में नये हाईस्कूल स्वीकृत करने के हमारे अनुरोध को मान लिया है। इस बारे में राज्य से नये प्रस्ताव की मांग की गई है। उम्मीद है कि चालू वित्तीय वर्ष में उप्र के लिए केंद्र सरकार 400 नये हाईस्कूलों को मंजूरी दे देगी। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत पहले स्वीकृत हुए हाईस्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जल्द कार्यवाही की जाएगी।'

-जितेंद्र कुमार, सचिव, माध्यमिक शिक्षा

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