Tuesday, September 17, 2013

नकारेपन से हाथ से निकले नये हाईस्कूल


जागरण ब्यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) को लेकर माध्यमिक शिक्षा विभाग का नकारापन राज्य सरकार के लिए भारी पड़ा है। आरएमएसए के तहत पिछले वर्षो में मंजूर किये गए नये हाईस्कूलों के निर्माण की धीमी गति और इनमें शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से नाराज केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में राज्य में सिर्फ शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े जिलों में ही नये हाईस्कूलों की मंजूरी देने पर सहमति जतायी है।
राज्य सरकार ने आरएमएसए के तहत चालू वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र को जो प्रस्ताव भेजा था, उसमें 1396 नये हाईस्कूलों को स्वीकृति दिये जाने की मांग की गई थी। इससे पहले केंद्र सरकार ने आरएमएसए के तहत उप्र में 2009-10 में 254, 2010-11 में 318 और 2011-12 में 449 नये हाईस्कूल मंजूर किये थे। लंबा समय गुजर जाने के बाद भी सरकार इन जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं कर पायी है। राजकीय जूनियर हाईस्कूलों को अपग्रेड कर हाईस्कूल बनाये गए इन विद्यालयों में अन्य स्कूलों के शिक्षक अटैच करके पढ़ाई की खानापूर्ति की जा रही है। हाईस्कूलों के निर्माण की प्रगति भी संतोषजनक नहीं है। इन तथ्यों से नाराज केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय सोमवार को नई दिल्ली में आरएमएसए के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में राज्य सरकार की ओर से मांगे गए नये हाईस्कूलों को स्वीकृति देने से मना कर दिया।
इस पर पीएबी की बैठक में गए माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने दुहाई दी कि यदि उप्र के लिए नये हाईस्कूल नहीं स्वीकृत किये जाएंगे तो इससे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत माध्यमिक विद्यालयों में प्रवेश दर बढ़ाने की मुहिम को धक्का लगेगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने मंत्रालय से अनुरोध किया कि वह राज्य में शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े जिलों में नये हाईस्कूल स्वीकृत कर दे। फिलहाल मंत्रालय ने इस पर अपनी सहमति जता दी है। उसने इस संबंध में राज्य सरकार से नया प्रस्ताव मांगा है।
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'केंद्र ने शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े जिलों में नये हाईस्कूल स्वीकृत करने के हमारे अनुरोध को मान लिया है। इस बारे में राज्य से नये प्रस्ताव की मांग की गई है। उम्मीद है कि चालू वित्तीय वर्ष में उप्र के लिए केंद्र सरकार 400 नये हाईस्कूलों को मंजूरी दे देगी। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत पहले स्वीकृत हुए हाईस्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जल्द कार्यवाही की जाएगी।'

-जितेंद्र कुमार, सचिव, माध्यमिक शिक्षा

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