Updated on: Sun, 15 Sep 2013 06:30 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बरेली : सर्व
शिक्षा अभियान के तहत
गरीब बच्चों को
विद्यालयों से जोड़ने
के लिए चलाई
गई मिड डे
मील योजना अब
बच्चों की पढ़ाई
ही खाए जा
रही है। शिक्षक,
छात्र और प्रधान
सभी खाने की
पूर्ति करने में
जुटे हुए हैं।
नतीजन विद्यालयों में
किताबें कम, खाने
की थालियां अधिक
दिखती हैं। शिक्षकों
ने ही इस
योजना का विरोध
करना शुरू कर
दिया है।
कोहाड़ापीर स्थित नगर संसाधान
केंद्र पर रविवार
को जब शिक्षक
इस योजना पर
विचार विमर्श करने
को जमा हुए
तो उनके एक
वाक्य, मिड डे
मील, प्रधान प्रति,
शिक्षक और विवाद
लेकिन पढ़ाई ..? ने
इस योजना का
असली चेहरा उकेर
दिया। उनका यह
वाक्य इस योजना
के असली सच
को कह गया
जो बेसिक शिक्षा
अधिकारी जान कर
भी अक्सर नजरअंदाज
कर जाते हैं।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
के मंडलीय अध्यक्ष
राजेंद्र गंगवार ने मिड
डे मील योजना
को बच्चों की
पढ़ाई का सबसे
बड़ा रोड़ा करार
दिया। कहा कि
यह योजना बच्चों
की पढ़ाई खाए
जा रही है।
संगठन के मंडलाध्यक्ष
राधारमण त्रिपाठी ने दो
टूक कहा कि
शासन को इस
योजना की स्थिति
साफ कर देनी
चाहिए, या तो
कमान प्रधान प्रति
के हाथों में
हो या फिर
शिक्षकों को ही
इसका पूरा कार्यभार
दिया जाए। राष्ट्रीय
पुरस्कार से सम्मानित
उर्दू शिक्षक सलीम
आदिल ने कलारी
गांव के प्रधान
पति द्वारा महिला
एबीएसए के साथ
अभद्रता की जाने
पर निंदा की।
मांग की प्रधान
पतियों का हस्तक्षेप
विद्यालयों में कम
किया जाए नहीं
तो शिक्षक संघ
इसके खिलाफ आवाज
बुलंद करेंगे। इस
मौके पर देवेंद्र
कुमार पाली, लेखराज
गंगवार व गजेंद्र
पाल सिंह मौजूद
रहे।
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