Tuesday, December 23, 2014

BTC SARKARI NAUKRI News दो वर्षीय बीटीसी पाठ्यक्रम पर संकट

लखनऊ प्रमुख संवाददाता
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निर्णय से प्रदेश के दो वर्षीय बीटीसी पाठ्यक्रम पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस निर्णय से जहां बीटीसी कॉलेजों के प्रबंधक पसोपेश में हैं, वहीं सरकार अभी तक चुप्पी साधे हुए है। प्रदेश में लागू व्यवस्था के मुताबिक अब विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध कॉलेजों में प्रस्तावित चार वर्षीय बीएलएड पाठ्यक्रम ही वैध होगा।

दरअसल, एनसीटीई ने तो विद्यार्थियों को दो-दो विकल्प दिए हैं लेकिन प्रदेश सरकार के निर्णय से एक विकल्प बेमतलब साबित हो रहा है। एनसीटीई ने बीटीसी की जगह पर डीएलएड (प्रारंभिक शिक्षा में डिप्लोमा) का जो दो वर्षीय पाठ्यक्रम तैयार किया है, उसमें प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट है। इसी प्रकार चार वर्षीय बीएलएड (प्रारंभिक शिक्षा में स्नातक) का जो पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, उसमें प्रवेश की योग्यता भी इंटरमीडिएट है। दोनों ही पाठ्यक्रमों का उद्देश्य एक से आठ तक की कक्षाओं के लिए शिक्षक तैयार करना है। इस तरह प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए विद्यार्थियों के सामने दो-दो विकल्प हैं।
समस्या यह है कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के लिए भी स्नातक की डिग्री अनिवार्य है। इस तरह डीएलएड करने वाले विद्यार्थी को बाद में स्नातक की उपाधि भी लेनी होगी। जाहिर है कि प्राथमिक शिक्षक बनने की अर्हता हासिल करने के लिए उसे इंटरमीडिएट के बाद पांच साल लगाने होंगे। ऐसे में बीएलएड उपाधि उसके लिए ज्यादा मुफीद होगी। इससे चार साल में ही उसे आवश्यक अर्हता प्राप्त हो जाएगी। निजी बीटीसी कॉलेजों की एसोसिएशन यह मामला शासन के सामने उठाने की तैयारी में है।
उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एससीआरटी) के निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह ने स्वीकार किया कि अभी इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
मौजूदा समय में है दो वर्षीय पाठ्यक्रम

प्रदेश के बीटीसी कालेजों में मौजूदा समय में दो वर्षीय बीटीसी पाठ्क्रम संचालित हैं। इसमें हाईस्कूल, इंटरमीडिएट स्नातक के अंकों के आधार पर जिले स्तर पर बनाई जानी वाली मेरिट लिस्ट से प्रवेश लिया जाता है। इन कॉलेजों पर विश्वविद्यालयों का कोई नियंत्रण नहीं है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) इनकी निगरानी करते हैं और रजिस्ट्रार (विभागीय परीक्षाएं) इलाहाबाद के कार्यालय से परीक्षाएं आयोजित कराई जाती हैं। इन कॉलेजों से बीटीसी की उपाधि लेने वाले विद्यार्थी शिक्षक बनने की अर्हता तो रखेंगे क्योंकि वे स्नातक के बाद यह डिग्री ले रहे हैं। नए सत्र से यह दो वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित करने में तकनीकी समस्या आएगी। उन्हें इसे चार वर्षीय बीएलएड पाठ्यक्रम में परिवर्तित करना होगा।

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