लखनऊ। विधान परिषद में बुधवार को सरकार ने आश्वस्त किया कि तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए वह नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर में सभी संबंधित पक्षों की बैठक कराकर समस्या का समाधान निकालेगी|
विधान परिषद में शून्यप्रहर में निर्दल समूह के उमेश द्विवेदी, चेतनारायण सिंह और राजबहादुर सिंह चंदेल ने यह मामला उठाया। सूचना की ग्राह्यता पर सत्तारूढ़ दल के देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि तदर्थ शिक्षक 18-22 वर्षों से काम कर रहे हैं। राजकोष से वेतन पा रहे हैं। इनको नियमित करने से सरकार पर एक भी पैसे का व्ययभार नहीं पड़ने वाला। मुख्यमंत्री की पहल पर कैबिनेट की बैठक में भी यह प्रस्ताव आ चुका है। फिर भी कुछ नहीं हुआ।
जवाब देने खड़े हुए नेता सदन अहमद हसन ने कहा कि अधिकारी कुछ कठिनाई बता रहे हैं। कहा कि वह ज्यादा कुछ बोलेंगे तो देवेन्द्र प्रताप उनकी चिट्ठी भी सदन में प्रस्तुत कर देंगे। इसलिए वह ज्यादा कुछ न कहकर आश्वस्त करते हैं कि जल्दी सभी पक्षों की बैठक करा देंगे। प्रयास होगा कि नवंबर में ही हो जाए। नहीं तो दिसंबर में बैठक जरूर करा देंगे।
शिक्षा मंत्री के हाल से शिक्षा जगत बेहाल ः
शिक्षक दल ने राजकीय शिक्षकों को एसीपी का लाभ देने और 85 प्रतिशत प्रधानाचार्यों के रिक्त पड़े पदों को भरने की मांग की। शिक्षक दल के सुरेश कुमार त्रिपाठी ने इस मामले पर कार्यस्थगन सूचना देते हुए बताया कि इन बातों के अलावा प्रोन्नत वेतनमान नहीं दिया जा रहा है। पेंशन व जीपीएफ कुछ भी आन लाइन नहीं किया गया है।
शिक्षक दल नेता ओमप्रकाश शर्मा ने चुटकी ली कि शिक्षा मंत्री के हाल से शिक्षा जगत बेहाल है। शिक्षा मंत्री कहते हैं कि 50 हजार रुपये पाने वालों से ज्यादा अच्छा 2000 पाने वाले पढ़ाते हैं। शिक्षा मंत्री पर कहूं भी तो क्या। उन्हें पता ही नहीं है कि संविधान किसी के शोषण व उत्पीड़न को संरक्षण नहीं देता। पर, शिक्षा मंत्री जो बोल रहे हैं उससे यही संदेश जा रहा है कि अच्छा पढ़वाने के लिए कम पैसे देकर शिक्षकों का शोषण जरूरी है
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