Friday, November 14, 2014

एलटी शिक्षक भर्तीः मेरिट नहीं लिखित परीक्षा से

शैलेंद्र श्रीवास्तव
लखनऊ। राज्य सरकार राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रशिक्षित शिक्षक (एलटी) शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया मेरिट से समाप्त कर लिखित परीक्षा के माध्यम से कराने की तैयारी में जुट गई है। शासन स्तर पर हुई उच्चाधिकारियों की बैठक में इस संबंध में सहमति बन गई है और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से इस संबंध में जल्द ही प्रस्ताव देने को कहा गया है। निदेशालय से मिलने वाले प्रस्ताव के आधार पर माध्यमिक शिक्षा एलटी शिक्षक भर्ती नियमावली में संशोधन संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूर कराई जाएगी।
प्रदेश में मौजूदा समय 1,611 राजकीय इंटर कॉलेज हैं। इसमें एलटी और प्रवक्ता स्तर के शिक्षक रखे जाते हैं। एलटी शिक्षकों की भर्ती मंडल स्तर पर संयुक्त शिक्षा निदेशक मेरिट के आधार पर करता है और प्रवक्ताओं के चयन का अधिकार उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के पास है। राजकीय इंटर कॉलेजों के लिए मौजूदा समय 6645 एलटी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए आवेदन लिए जा चुके हैं और मेरिट के आधार पर भर्ती प्रक्रिया अगले माह तक पूरी कर ली जाएगी।
शासन स्तर पर हुई बैठक में विगत दिनों में यह सहमति बनी है कि भर्ती प्रक्रिया मंडल स्तर पर न होकर प्रदेश स्तर पर की जाएगी। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएं और लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार पास करने वाले को एलटी शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी जाए। इसके आधार पर ही माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव मांगा गया है।
इंटर कालेजों में नियुक्ति का रास्ता साफ
इलाहाबाद (ब्यूरो)। राजकीय इंटर कालेजों में टीजीटी और एलटी ग्रेड शिक्षकों के चयन तथा नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने यूपी सबआर्डिनेट एजूकेशनल (ट्रेंड ग्रेज्युएट ग्रेड) सर्विस रूल्स 1983 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए खारिज कर दिया है। विनोद यादव और अन्य द्वारा दाखिल याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने सुनवाई की।
याचिका में सेवा नियमावली की धारा 15(2) की वैधानिकता को चुनौती देते हुए कहा गया कि चयन प्रक्रिया भेदभाव पूर्ण है तथा इससे समानता के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है। याचिका में चयन लिखित परीक्षा के आधार पर करने की मांग की गई। जबकि मौजूदा नियम के अनुसार चयन प्रक्रिया क्वालिटी प्वाइंट के आधार पर की जाती है। इसमें हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक के अंकों के गुणांक के आधार पर मेरिट तैयार की जाती है। याचीगण का कहना था कि यह फार्मूला दोषपूर्ण है क्योंकि विभिन्न बोर्डों सीबीएससी, आईसीएससी और यूपी बोर्ड के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा अंक देने के आधार भिन्न हैं। खंडपीठ ने इसे सरकार का नीतिगत मामला मानते हुए याचिका में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।
शासन नेे माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से मांगा प्रस्ताव

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