अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। ‘स्कूल में शिक्षक नहीं, अस्पताल में चिकित्सक नहीं, हैंडपंप खराब है। ऑनलाइन शिकायत कीजिए। शिकायत की मॉनिटरिंग भी खुद आधुनिक तकनीक करेगी।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांवों के डिजिटल होने के सपने को साकार करने का काम जियोलॉजिकल इंफोर्मेशन (जीआईएस) और रिमोट सेंसिंग तकनीक से होगा। बुंदेलखंड के पिछड़े गांवों के लिए बनाया गया विलेज इन्फॉर्मेशन सिस्टम (वीआईएस), इसे बखूबी पूरा करेगा।
रविवार को बायोटेक पार्क में प्रो. आरएस चतुर्वेदी नेशनल कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून के सीनियर असिस्टेंट (वर्तमान में लखनऊ में वन विभाग के जाइका समर्थित जीआईएस प्रोग्राम में एसोसिएट) अरविंद कुमार ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि वीआईएस असल में गांवों को डिजीटल रूप से सशक्त बनाने की योजना है। इसमें जीआईएस डाटा सेटेलाइट से मिले रिफरेंस मैप पर डाला गया, फील्ड सर्वे से स्थानीय जानकारी जुटाई गई। इसके बाद वीआईएस बनाया गया। यह सिस्टम बुंदेलखंड के 13 जिलों में लागू किया गया। इसमें लोगों को मामूली शिकायत जैसे हैंडपंप खराब होने तक की शिकायत करने की छूट रही। कोई भी अपने हैंडपंप का नंबर देखकर उसके खराब होने की ऑनलाइन जानकारी दे सकता था। सात दिन के अंदर उसे ठीक कराने का जिम्मा जिला प्रशासन का होता है। अब इस वीआईएस को मोबाइल एप्लीकेशन के रूप में बदला जा रहा है। इससे काफी हद तक लोगों के नजदीक पहुंच पाएंगे। यह काम दूरदराज के इलाकों में बसे गांवों के लोगों की शिकायत अधिकारियों तक पहुंचाने का सबसे बेहतर जरिया बनेगा। इस काम में गांवों में मौजूद जमीनों के आंकड़े लेकर ऑनलाइन करने का काम भी किया जाएगा।
इसके लिए प्लॉट लेवल सर्वे कराया जाना है। डिजिटल इंडिया में प्रधानमंत्री की कोशिश में वीआईएस ही कारगर होगा। कार्यक्रम में यूपी रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर से पूर्व निदेशक डॉ. पीएन शाह, बायोटेक पार्क के सीईओ डॉ. पीके सेठ, वैज्ञानिक डॉ. राजेश उपाध्याय, जीएसआई से एसके शर्मा, आयोजक एके श्रीवास्तव मौजूद रहे।
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