कानपुर, जागरण संवाददाता : सीबीएसई की राह चल पड़े माध्यमिक शिक्षा परिषद, उप्र.(यूपी बोर्ड) ने बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन की व्यवस्था भी चुस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब शिक्षक-शिक्षिकाएं कापियों का मूल्यांकन न करने का बहाना नहीं खोज सकेंगे और न ही परीक्षकों की नियुक्तियों में धांधली चलेगी।
बोर्ड ने परीक्षा केंद्र निर्धारण व नये शिक्षा सत्र की शुरुआत का समय बदलने के साथ ही पढ़ाई व गृह परीक्षा की आड़ में मूल्यांकन केंद्रों से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए बच निकलने का रास्ता बंद कर दिया है। बोर्ड परीक्षा के बाद प्रदेश भर में करीब 250 कालेजों में मूल्यांकन केंद्र बनाए जाते हैं। इन कालेजों में कक्षा 6 से 8 व नौवीं तथा 11 वीं की पढ़ाई व परीक्षा ठप रहती है। शेष कालेज खुलते हैं परंतु बड़ी संख्या में शिक्षक शिक्षिकाएं कापियां जांचने चले जाते है। नतीजा, पढ़ाई की खानापूरी होती है। प्राय: प्रधानाचार्य व उनके साथी शिक्षक गृह परीक्षा या कक्षा संचालन की आड़ में कापियां जांचने से बच जाते हैं। इसी के चलते बोर्ड ने मूल्यांकन के दिनों विशेषावकाश रखने की व्यवस्था कर दी है। ऐसे में परीक्षकों को अनिवार्य रूप से मूल्यांकन करने जाना होगा।
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शिक्षकों की दोहरी ड्यूटी से छुंट्टी
निजी कालेजों सहित कुछ कालेजों के प्रधानाचार्य शिक्षकों को प्रात: दस बजे तक कक्षा में पढ़ाने के लिए बुलाकर कापियां जांचने की छुंट्टी देते थे। इसे लेकर हर साल धरना-प्रदर्शन होता रहता था। इस व्यवस्था से शिक्षकों को दोहरी ड्यूटी से छुंट्टी मिल गई है।
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अनिवार्य सेवा
बोर्ड पहले ही मूल्यांकन को अनिवार्य सेवा में शामिल कर चुका है। कालेजों में विशेष अवकाश होने से जो शिक्षक मूल्यांकन करने नहीं जाएंगे, उन पर कार्रवाई करना आसान हो जाएगा।
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कंप्यूटर करेगा नियुक्तियां
प्रेक्टिकल परीक्षकों की नियुक्तियां अब वेबसाइट पर अपलोड शिक्षकों की सूची से होगी। इसके चलते परीक्षक बनाने में पीछे के दरवाजे से धांधली नहीं हो सकेगी। नियमानुसार वरिष्ठ शिक्षक पहले परीक्षक बनेंगे। परीक्षकों की भी मनमानी नहीं चलेगी।
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बोर्ड प्रवेश, पढ़ाई, परीक्षा व मूल्यांकन सभी स्तरों पर पारदर्शी व्यस्था लागू करके संबंधित लोगों की जवाबदेही तय करने की कोशिश में है। इससे व्यवस्था का और चुस्त होना तय है।- शकुंतला यादव, सचिव यूपी बोर्ड
बोर्ड ने परीक्षा केंद्र निर्धारण व नये शिक्षा सत्र की शुरुआत का समय बदलने के साथ ही पढ़ाई व गृह परीक्षा की आड़ में मूल्यांकन केंद्रों से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए बच निकलने का रास्ता बंद कर दिया है। बोर्ड परीक्षा के बाद प्रदेश भर में करीब 250 कालेजों में मूल्यांकन केंद्र बनाए जाते हैं। इन कालेजों में कक्षा 6 से 8 व नौवीं तथा 11 वीं की पढ़ाई व परीक्षा ठप रहती है। शेष कालेज खुलते हैं परंतु बड़ी संख्या में शिक्षक शिक्षिकाएं कापियां जांचने चले जाते है। नतीजा, पढ़ाई की खानापूरी होती है। प्राय: प्रधानाचार्य व उनके साथी शिक्षक गृह परीक्षा या कक्षा संचालन की आड़ में कापियां जांचने से बच जाते हैं। इसी के चलते बोर्ड ने मूल्यांकन के दिनों विशेषावकाश रखने की व्यवस्था कर दी है। ऐसे में परीक्षकों को अनिवार्य रूप से मूल्यांकन करने जाना होगा।
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शिक्षकों की दोहरी ड्यूटी से छुंट्टी
निजी कालेजों सहित कुछ कालेजों के प्रधानाचार्य शिक्षकों को प्रात: दस बजे तक कक्षा में पढ़ाने के लिए बुलाकर कापियां जांचने की छुंट्टी देते थे। इसे लेकर हर साल धरना-प्रदर्शन होता रहता था। इस व्यवस्था से शिक्षकों को दोहरी ड्यूटी से छुंट्टी मिल गई है।
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अनिवार्य सेवा
बोर्ड पहले ही मूल्यांकन को अनिवार्य सेवा में शामिल कर चुका है। कालेजों में विशेष अवकाश होने से जो शिक्षक मूल्यांकन करने नहीं जाएंगे, उन पर कार्रवाई करना आसान हो जाएगा।
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कंप्यूटर करेगा नियुक्तियां
प्रेक्टिकल परीक्षकों की नियुक्तियां अब वेबसाइट पर अपलोड शिक्षकों की सूची से होगी। इसके चलते परीक्षक बनाने में पीछे के दरवाजे से धांधली नहीं हो सकेगी। नियमानुसार वरिष्ठ शिक्षक पहले परीक्षक बनेंगे। परीक्षकों की भी मनमानी नहीं चलेगी।
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बोर्ड प्रवेश, पढ़ाई, परीक्षा व मूल्यांकन सभी स्तरों पर पारदर्शी व्यस्था लागू करके संबंधित लोगों की जवाबदेही तय करने की कोशिश में है। इससे व्यवस्था का और चुस्त होना तय है।- शकुंतला यादव, सचिव यूपी बोर्ड
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