2011 की टीईटी में 82 नंबर का विवाद खत्म होगा। आए दिन हो रही याचिकाओं को देखते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को इस मसले पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। इसकी सुनवाई मंगलवार हो होगी।
दरअसल सीबीएसई ने दिसंबर 2012 की सीटीईटी से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 82 नंबर पर पास सर्टिफिकेट देना शुरू किया। इसके आधार पर जून 2013 की टीईटी में 82 अंक पर फेल किए गए अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं कर दीं।
एनसीटीई से जवाब तलब के बाद कोर्ट ने 82 नंबर पर आरक्षित वर्ग को पास करने का निर्देश दिया। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने 2014 के टीईटी में 82 अंक पाने वालों को पास का सर्टिफिकेट जारी किया। लेकिन 2013 की टीईटी में 82 नंबर वालों को पास करने से इनकार कर दिया। इस पर फिर मुकदमा हुआ तो कोर्ट के आदेश पर सरकार ने बैकडेट से 2013 की टीईटी में 82 नंबर पाने वाले लगभग छह हजार अभ्यर्थियों को पास कर दिया।
इसको आधार बनाते हुए अरक्षित वर्ग के वे अभ्यर्थी भी पास सर्टिफिकेट मांगने लगे जो 2011 की टीईटी में 82 नंबर पाकर फेल हो गए थे। हाईकोर्ट ने 2011 में आयोजित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर की टीईटी में 82 नंबर पाने वालों को पास सर्टिफिकेट देने के साथ 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक और 29,334 सहायक अध्यापक भर्ती में औपबंधिक रूप से शामिल किए जाने के आदेश दिए थे। लेकिन सरकार ने इस मसले पर कोई निर्णय नहीं लिया। सैकड़ों अभ्यर्थियों का भविष्य पर दांव लगा होने और याचिकाओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव को टीईटी-2011 में 82 नंबर पाने वालों के मामले में निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
News SABHAR : livehindustan.com (इलाहाबाद, वरिष्ठ संवाददाता)
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