Wednesday, October 15, 2014

अब जुलाई के बजाय अप्रैल से यूपी बोर्ड का सत्र


Publish Date:Tue, 14 Oct 2014 06:47 PM (IST) | Updated Date:Tue, 14 Oct 2014 06:47 PM (IST)

अब जुलाई के बजाय अप्रैल से यूपी बोर्ड का सत्र

लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) का शैक्षिक सत्र जुलाई के बजाय अप्रैल से शुरू होगा। माध्यमिक विद्यालयों का समय भी जल्द बदला जाएगा। जिन राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में जरूरत होगी, उनमें दो पालियों में पढ़ाई करायी जाएगी।
आज यहां राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली ने यह घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि सीबीएसइ की तर्ज पर वर्ष 2015 से यूपी बोर्ड का सत्र भी अप्रैल से शुरू किया जाएगा। वह चाहते हैं कि यूपी बोर्ड से संबद्ध स्कूलों के बच्चों का दो महीने का समय न बर्बाद हो। सीबीएसइ से मान्यताप्राप्त स्कूलों की तरह वे भी अप्रैल और मई में पढ़ाई करें।
माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि उनसे लगातार मांग की जा रही है कि बालिकाओं की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूलों के समय में बदलाव किया जाए। लिहाजा वह माध्यमिक विद्यालयों का समय बदलने जा रहे हैं ताकि बालिकाएं समय से और सुरक्षित घर पहुंच जाएं। इन विद्यालयों का समय सुबह 9.50 की बजाय 8.50 बजे शुरू होगा और दोपहर 2.30 बजे स्कूल बंद कर दिये जाएंगे। इससे पहले राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय महामंत्री छाया शुक्ला ने लखनऊ में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को दो पालियों में संचालित करने की मांग की थी।
राजकीय शिक्षकों को एसीपी का तोहफा
राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के 15 हजार शिक्षकों को राज्य कर्मचारियों की तरह 10, 16 और 26 वर्ष की सेवा पर स्तरोन्नयन वेतनमान (एसीपी) का लाभ मिलेगा। माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली ने यह एलान किया। उन्होंने कहा कि राजकीय शिक्षकों को एसीपी का लाभ दिलाने के लिए वह तुरंत कार्यवाही करेंगे और इसमें आड़े आने वाले सारे व्यवधानों से निपट लेंगे। राजकीय शिक्षकों की प्रमोशन की प्रक्रिया को सरल किया जाएगा। राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सात हजार और सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 30 हजार शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रवक्ता, प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य पदों पर प्रोन्नति के लिए विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की नियमित बैठकें करायी जाएंगी। माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने एक तरफ शिक्षकों को एसीपी का लाभ दिये जाने का एलान किया तो दूसरी ओर उन्हें आईना भी दिखाया।
उन्होंने पूछा कि आखिर क्या वजह है कि महीने में चार हजार रुपये पगार पाने वाले वित्तविहीन स्कूलों के टीचर 60 हजार रुपये तनख्वाह पाने वाले राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों से बेहतर रिजल्ट देते हैं। उन्होंने शिक्षकों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि बीते पांच वर्षों में आपके स्कूल के किसी छात्र का आइआइटी में चयन हुआ हो तो बताइये। बिहार हमसे पिछड़ा है लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा में वहां के छात्र बाजी मार ले जाते हैं। यह भी कहा कि उन्हें बखूबी मालूम है कि उनके सामने सरकारी स्कूलों का जो रिजल्ट रखा जाता है, वह कैसे आता है। उन्होंने शिक्षकों से कहा 'पूरी ताकत लगा दीजिए, इस बार मैं नकल नहीं होने दूंगा।' उन्होने शिक्षकों से ब'चों को शिष्टाचार सिखाने पर जोर दिया।
इससे पहले राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष पारसनाथ पांडेय ने संघ की ओर से 11 सूत्री मांगें मंत्री के सामने प्रस्तुत कीं। वहीं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष एसपी तिवारी ने कहा कि जो मंत्री या अधिकारी शिक्षकों के साथ अन्याय करता है, वह कभी सुखी नहीं रहा। उद्घाटन सत्र को संघ की प्रांतीय महामंत्री छाया शुक्ला और वरिष्ठ उपाध्यक्ष रजनीश तिवारी ने भी संबोधित किया।

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