जौनपुर : पैसों की कमी के कारण सरकार की तरफ से उच्च शिक्षा में स्ववित्तपोषित योजना को बढ़ावा दिया गया जिसके तहत 75 फीसद व्यवस्था स्ववित्तपोषित हो गई। इन सबके बीच शिक्षकों को मुफलिसी से गुजरना पड़ रहा है। पिछले चार माह से करीब 500 शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा है जिससे इस दीपावली में इनके घरों में दीपक जलने का भी संकट आ गया है।
75 फीसद उच्च शिक्षा सेल फाइनेंस पर हो गई है। छात्रों की फीस से ही इनका वेतन मिलता है। मगर प्रबंधक यह कह रहे हैं कि अभी तक परिणाम नहीं आया है जिससे सभी छात्रों का प्रवेश नहीं हो सका है। इसी आधार पर शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पाया है। अगर देखा जाए तो प्रत्येक कालेजों में करीब सात शिक्षक स्ववित्तपोषित होंगे। जिस हिसाब से 473 कालेजों में तीन हजार 311 शिक्षक होने चाहिए। यह संख्या तो पूरी तरह से फर्जी है क्योंकि अधिकतर कालेजों में एक ही शिक्षक का नाम चल रहा है। सही आंकड़ा देखें तो स्ववित्तपोषित शिक्षकों की संख्या 500 के आस-पास होगी। इन शिक्षकों का वेतन पहले से ही कम है। ऐसे में दीपावली में भी वेतन न मिलने से इस बार पूरे परिवार के सामने आर्थिक तंगी आ गई है।
इस बाबत स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा.अनुराग मिश्र ने बताया कि सरकार ने सस्ती शिक्षा को देखते हुए स्ववित्तपोषित व्यवस्था को लागू कराया था। इसके बाद कड़ी मेहनत के बाद शिक्षकों को वेतन न देना गलत है। इसके बारे में कुलपति व विश्वविद्यालय को अवश्य सोचना चाहिए।
स्टैंडिंग कमेटी में आवेदन आए तो देखेंगे मामला: कुलपति
इस बाबत कुलपति पूर्वाचल विश्वविद्यालय प्रो.पीयूष रंजन अग्रवाल ने बताया कि किसी भी कालेज का स्टैडिंग कमेटी में आवेदन आने के बाद ही मामला देखा जा सकता है। स्ववित्तपोषित शिक्षकों को वेतन देने का पूरा कंट्रोल प्रबंधकों का होता है।
Publish Date:Sat, 18 Oct 2014 08:29 PM (IST) | Updated Date:Sat, 18 Oct 2014 08:29 PM (IST)
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