Friday, October 4, 2013

तीन वर्ष बाद भी नहीं नियुक्त हुए शिक्षक

इलाहाबाद (डीएनएन) उत्तर प्रदेश आरटीई (शिक्षा का अधिकार) कानून 2009 के मानकों पर खरा साबित नहीं हुआ है। यह कानून बनने के बाद केंद्र ने राज्यों को तीन वर्ष का समय दिया था कि वह इसके प्राविधानों के अनुसार अपने यहां शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती कर लें किन्तु उत्तर प्रदेश इस मामले में कुछ खास अभी तक नहीं कर सका है। आईटीई कानून के प्रभावी हो जाने के बाद अप्रैल 2013 में पहली बार जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 3,06680 पद अभी भी खाली पड़े हैं जबकि दूसरे जैसे स्कूल में ढांचागत निर्माण कार्य अधिकांश तौर पर पूरा किया है। इस मामले की समीक्षा के लिए शिक्षा सलाहकार समिति (केब) की बैठक 10 अक्टूबर को बुलाई गई है। इस बैठक में देश में आरटीई कानून में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा होगी। केंद्र के मानव संसाधन मंत्रालय का मानना है कि शिक्षकों की भर्ती उनके प्रशिक्षण जैसे अहम कदम उठाने में जो राज्य बहुत पीछे हैं मंत्रालय उनके केंद्रांश में कटौती कर सकती है। देश में इस समय कुल लगभग 12 लाख शिक्षकों के पद प्राथमिक स्कूलों में खाली हैं। इसमें 40 प्रतिशत रिक्तियां उत्तर प्रदेश एवं बिहार में हैं। उपलब्ध आंकड़े यह बता रहे हैं कि वर्तमान में 20 प्रतिशत शिक्षक यानी 8.6 लाख अप्रशिक्षित हैं। इनमें 1.43 लाख शिक्षक केवल उत्तर प्रदेश में हैं। बिहार दूसरे स्थान पर है।

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