इलाहाबाद
: सहायक अध्यापक उच्च प्राथमिक (गणित-विज्ञान) की भर्ती में सहायक
अध्यापकों द्वारा विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र का प्रयोग करने पर
बीएड मोर्चा ने आपत्ति जताई है। बीएड डिग्रीधारी विभिन्न विसंगतियों के
खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं।
बीएड मोर्चा का तर्क है कि इससे बीएड डिग्रीधारियों का इस भर्ती प्रक्रिया में अवसर सीमित हो गया है। बीएड मोर्चा ने इसके पीछे तर्क दिया है कि उच्च प्राथमिक कक्षा छह से आठ तक के लिए भर्ती हो रही है जिसके लिए बीएड खुद आधारभूत प्रशिक्षण है। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक इस भर्ती में विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र का प्रयोग कर रहे हैं। चूंकि यह भर्ती उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए हो रही है जिसमें बीएड स्वयं आधारभूत प्रशिक्षण है जो इसके अध्यापकों के लिए पूर्ण प्रशिक्षण है।
अभ्यर्थियों का तर्क है कि इस प्रशिक्षण में सैद्धांतिक में मुश्किल से 20 फीसद प्रशिक्षुओं को सैद्धांतिक में प्रथम श्रेणी मिल पाती है। विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण महज छह माह का अर्हता प्रमाण पत्र है। यह प्रशिक्षण प्राथमिक विद्यालयों के लिए है। इस प्रशिक्षण में 99 फीसद प्रशिक्षुओं को सैद्धांतिक में प्रथम श्रेणी मिल जाता है। सहायता प्राप्त अनुदानित विद्यालयों में जहां पहले से सीधी भर्ती चली आ रही है वहां सिर्फ बीएड व बीटीसी ही योग्यता निर्धारित है। 1999 में विशिष्ट बीटीसी के शासनादेश में यह प्रशिक्षण मात्र अर्हता प्रमाण पत्र है। इसमें प्रशिक्षुओं को अंक पत्र तक नहीं दिया जाता। नियुक्त शिक्षक डायटों से अपना अंक पता करके आवेदन कर रहे हैं। बीएड डिग्रीधारकों ने अपने पक्ष में इसी तरह कई और तर्क दिए हैं। इन्हीं बिंदुओं और विसंगतियों को आधार बनाकर बीएड डिग्रीधारियों ने हाईकोर्ट जाने की योजना बनाई है
बीएड मोर्चा का तर्क है कि इससे बीएड डिग्रीधारियों का इस भर्ती प्रक्रिया में अवसर सीमित हो गया है। बीएड मोर्चा ने इसके पीछे तर्क दिया है कि उच्च प्राथमिक कक्षा छह से आठ तक के लिए भर्ती हो रही है जिसके लिए बीएड खुद आधारभूत प्रशिक्षण है। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक इस भर्ती में विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र का प्रयोग कर रहे हैं। चूंकि यह भर्ती उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए हो रही है जिसमें बीएड स्वयं आधारभूत प्रशिक्षण है जो इसके अध्यापकों के लिए पूर्ण प्रशिक्षण है।
अभ्यर्थियों का तर्क है कि इस प्रशिक्षण में सैद्धांतिक में मुश्किल से 20 फीसद प्रशिक्षुओं को सैद्धांतिक में प्रथम श्रेणी मिल पाती है। विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण महज छह माह का अर्हता प्रमाण पत्र है। यह प्रशिक्षण प्राथमिक विद्यालयों के लिए है। इस प्रशिक्षण में 99 फीसद प्रशिक्षुओं को सैद्धांतिक में प्रथम श्रेणी मिल जाता है। सहायता प्राप्त अनुदानित विद्यालयों में जहां पहले से सीधी भर्ती चली आ रही है वहां सिर्फ बीएड व बीटीसी ही योग्यता निर्धारित है। 1999 में विशिष्ट बीटीसी के शासनादेश में यह प्रशिक्षण मात्र अर्हता प्रमाण पत्र है। इसमें प्रशिक्षुओं को अंक पत्र तक नहीं दिया जाता। नियुक्त शिक्षक डायटों से अपना अंक पता करके आवेदन कर रहे हैं। बीएड डिग्रीधारकों ने अपने पक्ष में इसी तरह कई और तर्क दिए हैं। इन्हीं बिंदुओं और विसंगतियों को आधार बनाकर बीएड डिग्रीधारियों ने हाईकोर्ट जाने की योजना बनाई है
News Sabhaar : Jagran (19.9.13)
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