इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्रदेश की सरकारी नौकरियों में किस वर्ग को कितना आरक्षण मिल रहा है। अदालत ने यह भी पूछा है कि सरकार पर्याप्त प्रतिनिधित्व का क्या अर्थ लगाती है और क्या आरक्षित वर्ग की कुछ जातियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल चुका है। अदालत ने सरकार से आरक्षण देने का क्राइटेरिया स्पष्ट करने तथा सेवाओं में विभिन्न वर्गो के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा पेश करने का भी निर्देश दिया है। 1यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने सुमित कुमार शुक्ल व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि आरक्षण व्यवस्था विभिन्न वर्गो के पर्याप्त प्रतिनिधित्व होने तक ही जारी रखने की व्यवस्था है। सरकार इसका पता लगाये बिना आरक्षण जारी रखे हैं। इससे आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व कोटे से अधिक हो गया है जो कानून की मंशा के विपरीत है। 1आरक्षण पर रोक लगनी चाहिए। याची की ओर से अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन व अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने पक्ष रखा। सरकार ने अपनी ही एक रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि कुछ आरक्षित जातियों का प्रतिनिधित्व ए सर्विस में 60 प्रतिशत पहुंच गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या विगत 10 वर्षो में कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए कोई कमेटी गठित हुई है जिसने यह पता लगाया कि आरक्षण की वास्तविक स्थिति क्या है। क्या किसी आयोग ने इस पर रिपोर्ट दी है। यदि प्रतिनिधित्व पर आयोग की रिपोर्ट उपलब्ध है तो सरकार ने इस पर क्या कार्यवाही की। 1इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्रदेश की सरकारी नौकरियों में किस वर्ग को कितना आरक्षण मिल रहा है। अदालत ने यह भी पूछा है कि सरकार पर्याप्त प्रतिनिधित्व का क्या अर्थ लगाती है और क्या आरक्षित वर्ग की कुछ जातियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल चुका है। अदालत ने सरकार से आरक्षण देने का क्राइटेरिया स्पष्ट करने तथा सेवाओं में विभिन्न वर्गो के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा पेश करने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने सुमित कुमार शुक्ल व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि आरक्षण व्यवस्था विभिन्न वर्गो के पर्याप्त प्रतिनिधित्व होने तक ही जारी रखने की व्यवस्था है। सरकार इसका पता लगाये बिना आरक्षण जारी रखे हैं। इससे आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व कोटे से अधिक हो गया है जो कानून की मंशा के विपरीत है। 1आरक्षण पर रोक लगनी चाहिए। याची की ओर से अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन व अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने पक्ष रखा। सरकार ने अपनी ही एक रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि कुछ आरक्षित जातियों का प्रतिनिधित्व ए सर्विस में 60 प्रतिशत पहुंच गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या विगत 10 वर्षो में कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए कोई कमेटी गठित हुई है जिसने यह पता लगाया कि आरक्षण की वास्तविक स्थिति क्या है। क्या किसी आयोग ने इस पर रिपोर्ट दी है। यदि प्रतिनिधित्व पर आयोग की रिपोर्ट उपलब्ध है तो सरकार ने इस पर क्या कार्यवाही की।
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