चेखोव की बातें गोर्की बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उनकी यह बात सुनकर वह बोले, 'तो ऐसे में आप शिक्षकों की कुछ मदद करना चाहते हैं?' यह सुनकर चेखोव बोले, 'मैं गुरुजन के प्रति बहुत श्रद्धा रखता हूं। यदि मेरे पास ढेर सारा धन आ जाए तो मैं उससे गांव में शिक्षकों के लिए सुविधाजनक मकान बनवाऊंगा।' गोर्की बोले, 'यह तो बहुत ही नेक निर्णय है।' इस पर चेखोव बोले, 'इतना ही नहीं, मैं एक ऐसे बड़े पुस्तकालय की व्यवस्था भी करूंगा कि अध्यापक, छात्र तथा ग्रामीण लोग पुस्तकों का अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त कर सकें। किसी भी देश को आदर्श शिक्षकों तथा ज्ञान के भंडार की आवश्यकता पड़ती है। उसके सामाजिक-सांस्कृतिक विकास के लिए ये चीजें जरूरी हैं। इसलिए मैं तो शिक्षकों की भूमिका को सर्वाधिक महत्व देता हूं। हमें इस वर्ग के प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शानी चाहिए।' गोर्की यह सुनकर भावविभोर हो उठे। चेखोव के प्रति गोर्की के मन में सम्मान और बढ़ गया।
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