लखनऊ
(उप ब्यूरो)।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएसजे
मुख्य परीक्षा पर
रोक लगा दी
है। यह परीक्षा
28 सितम्बर से होने
वाली थी। कोर्ट
ने यह रोक
10 सवालों के उत्तर
गलत होने के
आधार पर प्री
परीक्षा परिणाम की शुद्धता
पर उठाए गए
सवालों को देखते
हुए लगाई है।
कोर्ट ने आयोग
को निर्देश दिया
है कि चार
प्रोफेसरों से गलत
प्रश्नोत्तरों की जांच
कराएं और अगली
सुनवाई की तारीख
10 अक्टूबर को रिपोर्ट
पेश करें।
यह
आदेश न्यायमूर्ति राजेश
कुमार तथा न्यायमूर्ति
मनोज मिश्र की
खण्डपीठ ने मनोज
कुमार यादव व
कई अन्य अभ्यर्थियों
की याचिका पर
दिया है। याचियों
की तरफ से
अधिवक्ता अनिल तिवारी
व राकेश पांडेय
ने बहस की
कि प्रारम्भिक परीक्षा
में विधि एवं
सामान्य ज्ञान के कई
प्रश्नों के विकल्प
गलत हैं जिसके
चलते गलत उत्तर
देने वाले सफल
हो गए और
सही उत्तर देने
वाले असफल रह
गए। आयोग के
विशेषज्ञों पर सवाल
खड़े करते हुए
याचियों ने कहा
कि प्रश्न उत्तर
संशोधन करते हुए
सही उत्तरों को
गलत कर दिया।
अधिवक्ता अनिल तिवारी
ने कुछ लोगों
को फायदा पहुंचाने
के लिए आयोग
पर दुर्भावनापूर्ण ढंग
से कार्य करने
का आरोप लगाया
और कहा कि
आयोग की मंशा
ठीक नहीं है।
आयोग ने ऐसा
करके अयोग्य लोगों
को मुख्य परीक्षा
में बैठने देने
का अवसर दिया
है। याची के
अधिवक्ता ने कोर्ट
के सामने कई
सवालों के विकल्प
पेश किए। इनमें
कुछ सवाल ऐसे
पाए गए जिनमें
प्रश्न के तीन-तीन विकल्प
सही थे। कुछ
ऐसे सवाल थे,
जिनके पहले उत्तर
तो सही थे
लेकिन आपत्तियों के
बाद विशेषज्ञ टीम
ने गलत उत्तरों
को सही ठहरा
दिया। सामान्य ज्ञान
के भी कई
उत्तर गलत थे।
कहा गया कि
आयोग की इस
कार्य प्रणाली से
कई ऐसे अभ्यर्थियों
को मुख्य परीक्षा
में बैठने का
अवसर मिला जो
सूची से बाहर
हो जाते।
कोर्ट
के समक्ष यह
विकल्प था कि
याचियों को भी
मुख्य परीक्षा में
बैठने का अवसर
दिया जाए। इस
पर याची के
अधिवक्ताओं ने कहा
कि ऐसा करने
से कई अन्य
योग्य अभ्यर्थियों के
साथ अन्याय होगा।
ऐसे में परिणाम
की जांच विशेषज्ञ
कमेटी द्वारा कराकर
नए सिरे से
परिणाम जारी करने
के बाद ही
परीक्षा कराई जानी
चाहिए। कोर्ट ने दोनों
पक्षों को सुनने
के बाद देर
शाम को फैसला
सुनाया जिसमें मुख्य परीक्षा
पर रोक लगा
दी और गलत
प्रश्नों की जांच
विशेषज्ञों से कराने
का निर्देश दिया
है।
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