Friday, September 27, 2013

बीएड से तौबा, नहीं चाहिए मान्यता


Updated on: Thu, 26 Sep 2013
07:25 PM (IST)
डॉ सुरेश अवस्थी कानपुर : विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण के रास्ते बीएड अभ्यर्थियों के लिए नौकरी (प्राथमिक शिक्षक पदों पर सीधी भर्ती) में आए बूम का गुब्बारा अब फूट गया है। इसे बीटीसी के खुल गए दरवाजे, विशिष्ट बीटीसी के बंद हुए गेट और टीईटी तीनों ने मिलकर फोड़ा है। ऐसे में छात्र-छात्राओं का बीएड से ऐसा मोहभंग हुआ कि तमाम बीएड कालेज प्रबंधक हैरान हैं। बूम के चलते बीएड कालेज की मान्यता पाने के लिए 3000 से अधिक प्रत्यावेदन कर तो दिए गए, लेकिन अब 800 से ज्यादा आवेदकों ने मान्यता पाने की प्रक्रिया से ही हाथ खींच लिए हैं।
इसके अलावा 42 कालेजों ने तो राष्ट्रीय अध्यापक प्रशिक्षण परिषद (एनसीईटी) से मान्यता लौटाने की इच्छा जाहिर कर दी है। बीएड अभ्यर्थियों को विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण देकर प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्त कर देने पर अब रोक लग गई है। इसी के साथ नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य कर दिए जाने से भी नकल के रास्ते बीएड करने की प्रत्याशा वालों का दिल तोड़ा। फिलहाल बीएड अर्हता वालों के लिए
जीआईसी अनुदानित कालेजों में एलटी वेतनमान (नौवीं दसवीं कक्षा के लिए) की नौकरी का रास्ता बचा है। इनके पद कम हैं, उस पर भी माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड की उदासीनता आड़े आ रही है। नतीजतन अभ्यर्थियों का बीएड से मोह टूटा है। उधर दूसरे प्रदेशों के कालेज कम शुल्क में घर बैठे बीएड डिग्री दिला रहे हैं जिसके कारण
भी यहां अभ्यर्थियों की संख्या घटी जो नि प्रबंधकों को बीएड कालेज संचालन से पीछे ढकेल रही है। इंसेट) ये हैं खास संकट - विशिष्ट बीटीसी का रास्ता बंद
- टीईटी लागू होने से बढ़ा संकट
- माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती नहीं
- बीटीसी सीटें बढ़ी, प्रशिक्षण नियमित
- सीटें भरने से आर्थिक संकट में
- प्रवेश परीक्षा काउंसलिंग में देरी
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यह हैं (लगभग) आंकड़े नवीन बीएड कालेजों के प्रस्ताव : 3200 हाथ खींचने वाले प्रबंधक : 800 सत्रांत तक संभावित संख्या : 15,00 मान्यता वापसी का फैसला लिया : 42  ----- प्रदेश में बीएड की तस्वीर बीएड कालेज : 1064 मेरठ विश्वविद्या लय से संबद्ध : 322 कुल सीटें : 1.20 लाख
खाली रह गईं सीटें : 32,800 बीएड बेरोजगारों की संख्या : 3.5 लाख ---- ''नौकरी के मौके कम होने से बीएड
का भविष्य संकट में है। मेरठ समीपस्थ जिलों में कई प्रबंधक मान्यता वापस करने की फिराक में हैं। शिक्षकों के 2.87 लाख पद खाली हैं। शासन ने 2015 तक बीएड से खाली पद भरने के अपने ही फैसले पर अमल नहीं किया।
- सुभाष सिंह गुर्जर, संयोजक (मेरठ परिक्षेत्र), उप्र. स्ववित्तपोषी महाविद्यालय एसोसिएशन।
------ एनसीईटी में हर रोज मान्यता वापसी के प्रस्ताव पहुंच रहे हैं। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध एक प्रबंधक ने चार कालेजों की मान्यता वापसी का प्रस्ताव दिया है। सीटें खाली होने से आर्थिक संकट है ही, कुछ विश्वविद्यालय कालेजों से उगाही करते हैं। ऐसे में कालेज संचालन बेमानी हो गया है।
- विनय त्रिवेदी, प्रदेश अध्यक्ष उप्र.
स्ववित्तपोषी महाविद्यालय
एसोसिएशन।
 


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