जागरण ब्यूरो, लखनऊ : सूबे में
आरक्षण और दंगों के बाद अब कर्मचारियों ने प्रदेशव्यापी आंदोलन की जमीन
तैयार कर दी है। डेढ़ साल से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत 13 लाख
कर्मचारियों ने राज्य कर्मचारी अधिकार मंच बनाकर 12 नवंबर से कामकाज ठप
करने का एलान कर दिया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और राज्य कर्मचारी
महासंघ के संयुक्त बैनर तले गठित अधिकार मंच के नेता 24 अक्टूबर से भूख
हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी है।
राज्य कर्मचारी अधिकार मंच, उप्र के संयोजक हरि किशोर तिवारी और अजय सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि 19 साल बाद राज्य कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर संयुक्त रूप से एकजुट हुए हैं। 11 सूत्री मांगों के आधार पर कर्मचारियों ने आंदोलन की जमीन तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है।
बकौल, तिवारी विधान भवन के सामने भूख हड़ताल पर 51 संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्रियों ने बैठने का निर्णय किया है। अधिकार मंच का आरोप है कि 11 सूत्री मांगों को लेकर सात साल से विभिन्न संगठनों के बैनर तले कर्मचारी संगठन संघर्षरत है लेकिन सरकार गूंगी-बहरी बनी हुई है। कर्मचारियों का आरोप है कि सपा सरकार चुनावी घोषणा पत्र पर अमल करने के बजाए वादाखिलाफी कर रही है।
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कर्मचारियों की मांगें
-नियुक्ति की तिथि के आधार पर 10, 16 व 26 वर्ष में एसीपी का निर्धारण किया जाए।
-वेतन विसंगतियां सरकार दूर करे।
-केंद्र सरकार के बराबर राज्य कर्मियों की भत्ता निर्धारित करे।
-फील्ड कर्मचारियों को मोटरसाइकिल भत्ता शुरू करें।
-एसजीपीजीआइ में कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा नियमावली शीघ्र बनाई जाए।
-सभी विभागों में पदोन्नति का 26 फीसदी कोटा निर्धारित किया जाए।
-पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
-वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का पद राजपत्रित घोषित किया जाए।
-संविदा कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 11 हजार निर्धारित करे।
राज्य कर्मचारी अधिकार मंच, उप्र के संयोजक हरि किशोर तिवारी और अजय सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि 19 साल बाद राज्य कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर संयुक्त रूप से एकजुट हुए हैं। 11 सूत्री मांगों के आधार पर कर्मचारियों ने आंदोलन की जमीन तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है।
बकौल, तिवारी विधान भवन के सामने भूख हड़ताल पर 51 संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्रियों ने बैठने का निर्णय किया है। अधिकार मंच का आरोप है कि 11 सूत्री मांगों को लेकर सात साल से विभिन्न संगठनों के बैनर तले कर्मचारी संगठन संघर्षरत है लेकिन सरकार गूंगी-बहरी बनी हुई है। कर्मचारियों का आरोप है कि सपा सरकार चुनावी घोषणा पत्र पर अमल करने के बजाए वादाखिलाफी कर रही है।
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कर्मचारियों की मांगें
-नियुक्ति की तिथि के आधार पर 10, 16 व 26 वर्ष में एसीपी का निर्धारण किया जाए।
-वेतन विसंगतियां सरकार दूर करे।
-केंद्र सरकार के बराबर राज्य कर्मियों की भत्ता निर्धारित करे।
-फील्ड कर्मचारियों को मोटरसाइकिल भत्ता शुरू करें।
-एसजीपीजीआइ में कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा नियमावली शीघ्र बनाई जाए।
-सभी विभागों में पदोन्नति का 26 फीसदी कोटा निर्धारित किया जाए।
-पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
-वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का पद राजपत्रित घोषित किया जाए।
-संविदा कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 11 हजार निर्धारित करे।
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