जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : अदालती विवादों में उलझी
प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति शायद अब सही पटरी पर आ जाए। अभ्यर्थियों की
उम्मीदें 13 सितंबर पर टिकी हैं। इस दिन अदालत इस मामले में यह फैसला
सुनाएगी कि भर्ती के लिए चयन का आधार क्या हो। विवाद इस बात पर है कि टीईटी
की मेरिट के आधार पर चयन किया जाए या फिर शैक्षिक अर्हता को भी चयन के
मानकों में शामिल किया जाए।
सूबे में 72825 शिक्षकों की भर्ती शुरू से ही विवादों में फंसी रही है।
बसपा शासन में निकाले गए इस विज्ञापन में कभी टीईटी परीक्षा को लेकर मामला
उलझा रहा तो बाद में चयन के मानकों का पेंच फंस गया। यहां तक कि मामला
पूर्ण पीठ तक गया और वहां से कुछ शंकाओं पर निर्देश हासिल करने के बाद अब
न्यायमूर्ति लक्ष्मीकांत महापात्र और अमित बी स्थालेकर की खंडपीठ इस पर
फैसला सुनाएगी। चूंकि मूल विवाद चयन के लिए निर्धारित होने वाले मानकों को
लेकर है, इसलिए अभ्यर्थी बेचैन हैं। विशेष रूप से वे अभ्यर्थी जिन्होंने
टीईटी को मेरिट का आधार बनाए जाने के बाद अपनी नियुक्ति को निश्चित सा मान
लिया था। इसके लिए बसपा सरकार में नियमों में फेरबदल भी किए गए थे। हालांकि
अभ्यर्थियों का एक और समूह टीईटी के अंकों के साथ ही शैक्षिक अर्हता के
अंकों को भी शामिल किए जाने का पक्षधर है। हालांकि हाईकोर्ट के फैसले के
आधार पर बहुत कुछ सरकार के रुख पर भी निर्भर करेगा कि वह भर्ती को लेकर
कितनी सक्रियता दिखाती है।
एक विवाद आयुसीमा को लेकर भी खड़ा होने की संभावना है। अभ्यर्थियों में कई
उर्दू शिक्षकों और मोअल्लिम वालों को आयुसीमा में मिली छूट के आधार पर इस
भर्ती के लिए भी आयुसीमा बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं। उनके अनुसार सरकार
बदलने के बाद इन नियुक्तियों के लिए फिर से विज्ञापन लिए गए थे। ऐसी स्थिति
में लगभग बीस हजार अभ्यर्थी ऐसे थे जो आयुसीमा से बाहर हो गए थे। उन्हें
अवसर नहीं मिल पाएगा।
For more news visit: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
No comments:
Post a Comment