इलाहाबाद(ब्यूरो)।
लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षाओं में आरक्षण लागू करने की नई
नीति के मामले पर हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाएं बृहस्पतिवार को निस्तारित कर
दी गईं। न्यायालय ने कहा कि आयोग द्वारा दाखिल हलफनामे से साफ है कि उसने
27 मई 2013 का प्रस्ताव वापस ले लिया है। इस स्थिति में याचिका पर अब विचार
करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि विवाद का कारण समाप्त हो चुका है। सुधीर
कुमार सिंह और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति
लक्ष्मीकांत महापात्रा और न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया
है।
याची के अधिवक्ता सुरेश चंद्र
श्रीवास्तव ने आयोग के हलफनामे की ओर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट करते हुए
कहा कि आयोग ने हलफनामे में स्वयं स्वीकार किया है कि प्रस्ताव लागू करने
के बाद और वापस लेने के बीच में कई बदलाव हुए हैं। पीसीएस 2011 मुख्य
परीक्षा का परिणाम इस दौरान घोषित किया गया। फैसला लागू करने के गंभीर
परिणाम सामने आने के बाद इसे वापस लेना पड़ा। आयोग ने निर्णय तब वापस लिया
जब समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उनको लखनऊ तलब करके
वार्ता की। इस प्रकार से यह निर्णय राजनीतिक दबाव में वापस लिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक मामलों से न्यायालय का कोई लेना देना नहीं है।
चूंकि निर्णय वापस हो चुका है इसलिए वाद का कोई आधार नहीं बचा है।उल्लेखनीय
है कि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षाओं में आरक्षण
का त्रिस्तरीय फार्मूला लागू करने संबंधी प्रस्ताव 27 मई को लागू किया था।
आरक्षण समर्थकों ने बरेली पैसेंजर में लगाई आग
इलाहाबाद।
लखनऊ में प्रदर्शन कर लौट रहे आरक्षण समर्थकों ने बृहस्पतिवार की भोर में
बरेली पैसेंजर में भी जमकर बवाल काटा। एमएनएनआईटी के पास चेन पुलिंग कर
ट्रेन रोक ली और गाड़ी पर पथराव शुरू कर दिया। यात्रियों के उतरने के बाद
नारेबाजी कर रहे आरक्षण समर्थकों ने ट्रेन के एक कोच में आग लगा दी। इसके
बाद वे मौके से भाग गए। ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड ने किसी तरह आग पर काबू
पाया। इसके बाद ट्रेन को प्रयाग स्टेशन पहुंचाया जा सका। बाद में जले हुए
कोच को पीआरएल पैसेंजर से लखनऊ रवाना कर दिया गया। घटना में ट्रेन के गार्ड
एसएन यादव ने जीआरपी में अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।
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