ऐसा नहीं कि अफसर काम नहीं कर रहे| हर रोज दौड़ रहे है| मगर गरीब और कमजोर वर्ग की जनता के बच्चो के लिए जितना प्रयास होना चाहिए था, शायद नहीं हुआ| इतना ही नहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी तो ये आकड़े जुटाने तक में नाकामयाब रहे कि जिले में स्व वित्त पोषित विद्यालयों में कक्षावार कितनी सीटे है| इन्ही सीटो के आधार पर 25 प्रतिशत कमजोर और गरीब श्रेणी के बच्चो को स्कूल में प्रवेश दिलाना जिला शिक्षा समिति की जिम्मेदारी थी| मगर जिले में 1 अगस्त 2013 तक एक भी प्रवेश इस योजना में नहीं हो पाया|
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