पौने दो लाख बच्चों को मिड डे मील देकर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज करा चुकी है संस्था
•अमर उजाला ब्यूरो
वृंदावन।
बिहार में जहरीले मिड डे मील से करीब दो दर्जन बच्चों की मौत के बाद जहां
इस योजना पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं अक्षय पात्र संस्था भोजन की गुणवत्ता और
पौष्टिकता के मामले में दुनिया भर में मिसाल पेश कर चुकी है। इसी आधार पर
इसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुआ है। फिलहाल यह संस्था मथुरा
और आगरा के 1,899 स्कूलों के करीब पौने दो लाख बच्चों के लिए मिड डे मील
तैयार करती है। अक्षय पात्र द्वारा जल्द ही वाराणसी, लखनऊ, कानपुर और
कन्नौज में भी उम्दा मिड डे मील देने की तैयारी है।
संस्था
में भोजन बनाने की कार्यशैली दुनिया के लिए आइना है। साफ-सफाई के लिहाज से
भोजन बनाने वालों और सब्जी काटने वालों को विशेष कपड़े पहनाए जाते हैं।
बर्तनों में खाना रखने से पहले और पैकिंग के बाद बारीकी से जांच की जाती
है। इसके बाद पके हुए भोजन को डिब्बों में बंद कर वाहनों से स्कूलों में
पहुंचाया जाता है। अक्षय पात्र के अत्याधुनिक संयंत्र में एक घंटे में 40
हजार रोटियां, एक हजार किलो सब्जी तैयार की जाती है। खाद्य विभाग के
अधिकारी भी समय-समय पर खाने का निरीक्षण करते हैं।
मिड
डे मील को लेकर सवाल उठने के बाद अक्षय पात्र की ओर से भरोसा दिया गया है
कि संस्था गुणवत्ता को लेकर सजग है और अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है।
संस्था के पीआरओ कमल योगी ने बताया कि अक्षय पात्र ने 2004 से मिड डे मील
योजना प्रारंभ की। अक्षय पात्र ने वाराणसी, लखनऊ, कानपुर और कन्नौज में भी
मिड-डे मील देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार से अनुबंध किया है। जुलाई,
2014 से लखनऊ में लगभग डेढ़ लाख बच्चों के लिए भोजन देने की योजना है।
•यहां
तैयार होती है घंटे भर में 40 हजार रोटियां और 1000 किलो सब्जी, अब
वाराणसी, लखनऊ, कानपुर और कन्नौज में भी बच्चों को खाना देने की तैयारी
•संस्था के अत्याधुनिक संयंत्र में तैयार होता है गुणवत्तापूर्ण भोजन
, नियमित होती है जांच
आईएसओ प्रमाणित है अक्षय पात्र
अक्षय
पात्र संस्था को खाद्य सुरक्षा मानक अपनाने के लिए आईएसओ 22000 का प्रमाण
पत्र मिल चुका है। वहीं इस गैर सरकारी संगठन को दुनिया के सौ अग्रणी एनजीओ
में 23 वें स्थान पर होने के कारण सीएनबीसी अवार्ड भी मिल चुका है।
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