इलाहाबाद : हाई कोर्ट ने उप्र लोक सेवा आयोग द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षण नियमों में बदलाव किए जाने पर राज्य सरकार व आयोग से जवाब तलब किया है। अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में आयोग के इस आदेश को चुनौती दी है। कोर्ट ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित किया है। मामले की सुनवाई 22 जुलाई को होगी। सुधीर कुमार व अन्य की ओर से दाखिल इस याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति एलके महापात्र तथा न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने की।
याचिका में परीक्षा के दौरान हर स्तर पर आरक्षण की नई नीति लागू करने को चुनौती दी गयी है। याची का कहना है कि अन्य पिछड़ा वर्ग की एक जाति विशेष को आरक्षण की आड़ में नाजायज लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इस व्यवस्था से सामान्य वर्ग के प्रतियोगियों का भविष्य आयोग दांव पर लगा रहा है। याची का कहना है कि 1994 की आरक्षण नियमावली के तहत पद के सापेक्ष नियुक्ति में आरक्षण दिया जाना चाहिए परंतु आयोग ने चयन प्रक्रिया के हर स्तर पर आरक्षण लागू कर सामान्य वर्ग के प्रतिभागियों के अवसर को कम कर दिया है। आरक्षित जातियों को आरक्षण की 50 फीसद सीमा से अधिक सीटों पर चयन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मखौल उड़ाया जा रहा है। सरकार की तरफ से कहा गया कि नियमावली के तहत ही आरक्षण दिया जा रहा है। आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों द्वारा मेरिट में स्थान पाने पर सामान्य श्रेणी में शामिल किया जाना विधिसम्मत है। अदालत के समक्ष प्रश्न यह है कि क्या चयन प्रक्रिया में हर स्तर पर आरक्षण देकर परिणाम घोषित किया जा सकता है?
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