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आगरा: डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि से संबद्ध कॉलेजों में फीस के फेर में एमएड
की सीटें खाली रह गई हैं। काउंसिलिंग के दो माह बाद भी सैकड़ों सीटें खाली
हैं। निर्धारित फीस से अधिक वसूली के कारण काउंसिलिंग के जरिए कॉलेजों में
प्रवेश लेने गये अभ्यर्थियों को सीटें छोड़नी पड़ीं। वहीं, प्रवेश के लिए
कतार में खडे़ अभ्यर्थी दूसरी काउंसिलिंग का इंतजार कर रहे हैं।
विवि से संबद्ध 15 कॉलेजों में एमएड की तकरीबन 470 सीटें हैं। फरवरी में
एमएड सत्र 2012-13 के प्रवेश के लिए विवि के खंदारी परिसर में काउंसिलिंग
हुई थी। प्रक्रिया पूरी होने के बाद छात्रों को कॉलेज आवंटित किये गये थे,
इसके बावजूद भी एमएड कॉलेजों की तकरीबन सौ सीटें खाली रह गई हैं। इसके पीछे
फीस वसूली का पेच सामने आ रहा है। कॉलेजों
ने एमएड की फीस तकरीबन 68 हजार घोषित की थी, लेकिन इससे अधिक फीस वसूली जा
रही है। सूत्रों की मानें, तो कॉलेजों द्वारा एक लाख से सवा लाख रुपये तक
फीस ली जा रही है।
आर्थिक रूप से कमजोर छात्र इतनी फीस भरने में असमर्थ हैं, जिसकी वजह से
उन्हें प्रवेश लेने से वंचित होना पड़ा। अधिक फीस वसूली की आधा दर्जन
शिकायतें छात्रों ने शासन से की हैं। जिस पर शासन ने विवि प्रशासन से जवाब
मांगा है।
नहीं होगी दूसरी काउंसिलिंग
मार्च में ही एमएड के प्रवेश ले लिए गये थे, इसके बाद कॉलेजों में पढ़ाई भी
शुरू करा दी गई है। जबकि कुछ कॉलेज सत्र शुरू करने से पहले सीट भरने का
इंतजार कर रहे हैं। चार माह बाद भी विवि ने दूसरी काउंसिलिंग नहीं कराई है।
सूत्रों की मानें, तो विवि प्रशासन दूसरी काउंसिलिंग कराने के पक्ष में
नहीं है। वह प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों से ही खाली सीटें भरने
का प्रयास करेगा।
अधिक फीस वसूली के कारण कई अभ्यर्थियों ने कॉलेज में प्रवेश नहीं लिए। इन मामलों की जांच की जा रही है।
प्रो. सुगम आनंद, समन्वयक एमएड काउंसिलिंग
News Source : Jagran (26.6.13)
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