पांच सौ स्कूलों के लिए नहीं मिल रही जमीन
केंद्र से करनी पड़ी 272 स्कूलों को सरेंडर करने की पेशकश16लेटलतीफी के कारण केंद्र ने नहीं दी 1748 विद्यालयों को मंजूरी
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राजीव
दीक्षित1लखनऊ : सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2011-12 में मंजूर किये गए
स्कूलों में से 600 से ज्यादा दो साल बीतने के बाद भी नहीं बन पाये हैं।
करीब 500 स्कूलों का निर्माण तो अब तक शुरू नहीं हो पाया है क्योंकि इनके
निर्माण के लिए जमीनें नहीं मिल रही हैं। जमीन न मिलने के कारण ही राज्य को
केंद्र सरकार से 2011-12 में स्वीकृत 205 प्राथमिक और 67 उच्च प्राथमिक
स्कूलों को सरेंडर करने की पेशकश तक करनी पड़ी। केंद्र ने स्कूलों को
सरेंडर करने के प्रस्ताव को यह कह कर ठुकरा दिया कि इन स्कूलों के निर्माण
के लिए पैसा दिया जा चुका है और जमीनों का बंदोबस्त कराना जिलाधिकारियों का
काम है। 1समय से स्कूलों का निर्माण पूरा न होने का खामियाजा राज्य को
उठाना पड़ा है। 2011-12 में मंजूर किये गए स्कूलों का निर्माण पूरा न होने
की वजह से ही केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत चालू वित्तीय वर्ष
में राज्य की ओर से 1497 प्राथमिक, 237 उच्च प्राथमिक और 14 आवासीय
विद्यालयों के निर्माण को मंजूरी देने की राज्य की मांग को ठुकरा दिया है।
केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2011-12 में उप्र के लिए 10,366
प्राथमिक और 1052 उच्च प्राथमिक स्कूलों के निर्माण को मंजूरी दी थी।
नियमत: इन स्कूलों का निर्माण छह से आठ महीने की अवधि में हो जाना चाहिए
लेकिन बीती 31 मार्च तक इनमें से 644 स्कूलों का निर्माण शुरू नहीं हो पाया
था। 1स्कूलों के निर्माण में लेटलतीफी पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए
सर्व शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) ने राज्य की
वार्षिक कार्य योजना में प्रस्तावित नये स्कूलों और आवासीय विद्यालयों को
स्वीकृति देने से मना कर दिया। हालांकि पीएबी की बैठक में शिरकत करने वाले
बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने उस वक्त यह कहा था कि संसाधनों की कमी के
कारण केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में नये स्कूलों के निर्माण को
मंजूरी नहीं दी। लेकिन अब जबकि केंद्र ने पीएबी की बैठक में दी गई
स्वीकृतियों का कार्यवृत्त सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय
को भेजा है तो नये स्कूलों के निर्माण को मंजूरी न मिलने की असल वजह जाहिर
हो गई है। कार्यवृत्त में केंद्र ने स्पष्ट किया है कि पूर्व में स्वीकृत
स्कूलों में 644 विद्यालयों का निर्माण पूरा न होने की वजह से नये स्कूलों
को मंजूरी नहीं दी जा रही है। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना
कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार जमीन न मिलने की वजह से तकरीबन 500
स्कूलों का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। उनका यह भी कहना है कि स्कूलों
के निर्माण के लिए केंद्र ने 2011-12 में सिर्फ आधी धनराशि दी, आधी अगले
वित्तीय वर्ष में दी।
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