जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भोपाल (मप्र) से
निर्गत बुनियादी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र को बीटीसी के समकक्ष न मानते हुए
प्राइमरी स्कूल के प्राचार्य बने शिक्षक की बर्खास्तगी को सही करार दिया
है। कोर्ट ने कहा है कि जब याची की नियुक्ति को ही कोर्ट ने अवैध करार दिया
है, ऐसे में उसकी सहायक अध्यापक एवं प्रधानाध्यापक पद पर की गई नियुक्ति
को सही नहीं माना जा सकता।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टण्डन ने गोरखपुर के प्राइमरी स्कूल में 11
साल से कार्यरत अध्यापक व प्रधानाचार्य सच्चिदानंद सिंह की याचिकाओं को
खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद उप्र बनाम उपेंद्र
राय व अन्य में पारित 12 फरवरी 08 के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि
किसी डिग्री या उपाधि की समकक्षता के संबंध में राज्य सरकार को मान्यता
देने या न देने का पूरा अधिकार है। हाईकोर्ट ने भी विनोद कुमार सिंह बनाम
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी केस में कहा है कि किसी डिग्री की समकक्षता रखने
या समाप्त करने का अधिकार राज्य सरकार को है। हाईकोर्ट ने मप्र शिक्षा
बोर्ड की बुनियादी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र डिग्री को बीटीसी के समकक्ष नहीं
माना और कहा कि बीएसए गोरखपुर का आदेश विधि सम्मत है और याचिका खारिज कर
दी। याचिका पर अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव व बेसिक शिक्षा परिषद के
अधिवक्ता जीएस मौर्या ने बहस की।
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