•मध्य भारत ग्वालियर की हाईस्कूल-इंटरमीडिएट डिग्री के यूपी में मान्यता पर विवाद
•दो न्यायपीठों के निर्णयों में मतभेद के चलते तीन जजों की पीठ को मामला संदर्भित
•इलाहाबाद। मध्य भारत ग्वालियर बोर्ड से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की
डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को यूपी बीटीसी में शामिल करने का मामला
अब हाईकोर्ट की पूर्णपीठ तय करेगी। बोर्ड की डिग्री को मान्यता देने के
मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो न्यायपीठों के विरोधाभासी निर्णय है।
इसे देखते हुए न्यायमूर्ति एपी साही ने मामले को पूर्णपीठ के लिए संदर्भित
कर दिया है। सुमन कुमारी और रामभुवन मौर्या ने मध्य भारत ग्वालियर बोर्ड से
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की डिग्री हासिल की है। इस आधार पर उनको उत्तर
प्रदेश में बीटीसी कोर्स में प्रवेश नहीं दिया गया, क्योंकि मध्य भारत की
डिग्री की मान्यता प्रदेश सरकार ने समाप्त कर दी है। दोनों इसके खिलाफ
हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
प्रदेश सरकार ने अपने पक्ष में स्वीटी भाटी बनाम राज्य सरकार में
हाईकोर्ट की एकल न्यायपीठ के आदेश का हवाला दिया। ठीक इसी प्रकार के मामले
में एकलपीठ ने राज्य सरकार के निर्णय को सही करार देते हुए याचिका खारिज कर
दी थी। इसके विरोध में याची के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने संतोष कुमार बनाम
राज्य सरकार के निर्णय का हवाला दिया जिसमें एक अन्य न्यायपीठ ने स्वीटी
भाटी केस के विपरीत निर्णय दिया है। यह भी कहा गया कि याचीगण ने मध्य भारत
डिग्री को अमान्य घोषित करने से पूर्व डिग्री हासिल कर ली थी। अमान्यता
संबंधी आदेश का पश्चातवर्ती प्रभाव नहीं हो सकता है। दूसरे यह कि इसी
डिग्री के आधार पर उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर याचीगण
ने स्नातक और दूसरी डिग्रियां प्राप्त की हैं।
याची के वकील का यह भी तर्क था कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू
होने के बाद केंद्र सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों की
न्यूनतम अर्हता निर्धारित करने का अधिकार एनसीटीई को दे दिया है इसलिए
प्रदेश सरकार मान्यता के संबंध में मनमाना निर्णय नहीं ले सकती है। एनसीटीई
की ओर से रिजवान अली अख्तर ने पक्ष रखा। न्यायमूर्ति एपी साही ने स्वाती
भाटी केस के निर्णय से असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकरण में दो
न्यायपीठों में मतभिन्नता है। इसलिए विवाद का निस्तारण पूर्णपीठ द्वारा
किया जाना उचित होगा।
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