शिक्षक पात्रता परीक्षा का एक और मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस बार
चुनौती टीईटी-13 के शासनादेश को दी गई है। प्रशिक्षु अभ्यर्थियों को जो
अंतिम परीक्षा में शामिल हो चुके हैं मगर परिणाम घोषित नहीं हुआ है,
टीईटी-13 में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके खिलाफ अभ्यर्थियों
ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए
न्यायमूर्ति एपी साही ने प्रदेश सरकार से प्रकरण पर जानकारी मांगी है।
सुशील कुमार सिंह और अन्य की ओर से दाखिल याचिका में 17 अप्रैल 2013
को जारी शासनादेश को चुनौती दी गई है। शासनादेश के अनुसार टीईटी-13 में ऐसे
अभ्यर्थी जिन्होंने अंतिम वर्ष की परीक्षा दे दी है मगर परिणाम घोषित नहीं
किया गया है, शामिल नहीं हो सकेंगे। याचियों का कहना है कि सीटीईटी और
यूजीसी भी पात्रता परीक्षाएं ही हैं परंतु इसमें अंतिम वर्ष की परीक्षा में
शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति होती है,
जबकि प्रदेश सरकार ने टीईटी-13 में शामिल होने की अनुमति नहीं दी है।
पंजीकरण फार्म भरने की अंतिम तिथि 13 मई है। इसे लेकर अभ्यर्थी परेशान हैं।
याचिका पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी है।
No comments:
Post a Comment