विवेक
वाष्ण्रेय/ एसएनबी नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा
कि समान कार्य-समान वेतन
का सिद्धांत वहां
लागू नहीं होता
जहां नियुक्तियां वैधानिक
नियमों के आधार
पर नहीं हुई
हों। निर्धारित चयन
प्रक्रिया के बिना
किसी स्कीम के
तहत नियुक्त किए
गए कर्मचारियों को
उन लोगों के
समान वेतन नहीं
दिया जा सकता
जिनकी नौकरी तयशुदा
वैधानिक नियमावली के तहत
हुई हो। जस्टिस
केएस राधाकृष्णन और
एके सीकरी की
बेंच ने मध्य
प्रदेश में शिक्षा
गारंटी स्कीम के तहत
भर्ती किए गए
शिक्षाकर्मियों की याचिका
का निपटारा करते
हुए यह बात
कही। बेंच ने
राज्य सरकार से
कहा कि छह
से 14 साल के
बीच की उम्र
के बच्चों को
अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने
के कार्यक्रम के
तहत भर्ती शिक्षाकर्मियों
को सिर्फ ढाई
हजार रुपये प्रतिमाह
मानदेय दिया जा
रहा है। यह
राशि बहुत कम
है। राज्य सरकार
मानदेय बढ़ाने पर विचार
कर सकती है।
गौरतलब है कि
प्राथमिक अध्यापकों के समान
वेतन का विवाद
राज्य सरकार के
आदेश के कारण
ही पैदा हुआ
था। जनपद के
मुख्य शिक्षा अधिकारी
ने अध्यापक कैडर
को प्रदत्त कुछ
लाभ शिक्षाकर्मियों को
प्रदान करने का
आदेश पारित किया।
यह आदेश 21 फरवरी,
2011 को आया, लेकिन
छह माह बाद
ही 12 अगस्त, 2011 को
इस आदेश को
वापस ले लिया
गया। आदेश को
वापस लेने का
शिक्षाकर्मियों ने बड़ी
तादाद में विरोध
किया। मध्य प्रदेश
हाई कोर्ट की
ग्वालियर बेंच में
इस संबंध में
कई याचिकाएं दायर
की गई। हाई
कोर्ट की एकल
पीठ ने याचिकाएं
खारिज कर दीं।
हाई कोर्ट का
मत था कि
आदेश को वापस
लेने में किसी
तरह की खामी
नहीं है। एकल
पीठ ने यह
जरूर कहा कि
संविधान के अनुच्छेद
23 तथा 43 के तहत
याचियों का मानदेय
बढ़ाया जा सकता
है या नहीं,
इस पर राज्य
सरकार गंभीरता से
विचार करे। हाई
कोर्ट की खंडपीठ
ने एकल पीठ
के फैसले को
सही ठहराया। हाई
कोर्ट के फैसले
के खिलाफ गोपाल
चावला तथा अन्य
ने सुप्रीम कोर्ट
में याचिका दायर
की। सुप्रीम कोर्ट
ने कहा कि
शिक्षा गारंटी स्कीम पंचायत
राज एवं ग्राम
स्वराज अधिनियम, 1993 के तहत
शुरू की गई।
इसी स्कीम के
तहत शिक्षाकर्मी और
संविादकर्मी नियुक्त किए गए।
उन्हें गुरुजी भी कहा
जाता है, लेकिन
ये शिक्षाकर्मी या
अध्यापक वैधानिक तरीके से
सृजित किए गए
पदों तथा निर्धारित
चयन प्रक्रिया के
तहत नियुक्त नहीं
किए गए। इन
शिक्षाकर्मियों की न्यूनतम
योग्यता हायर सेकेंडरी
है। उसके बाद
इसे बढ़ाकर बीटीआई
और डीईडी कर
दिया गया। विभिन्न
शिक्षा केन्द्रों पर नियुक्त
शिक्षाकर्मियों को दो
साल के प्रशिक्षण
के बाद डिप्लोमा
सर्टिफिकेट जारी कर
दिया गया। निर्धा
रित चयन प्रक्रिया
के बिना किसी
स्कीम के तहत
नियुक्त कर्म चारी
इसके पात्र नहीं
हो सकते शिक्षा
गारंटी स्कीम के तहत
नियुक्त अध्यापकों के मानदेय
में बढ़ोतरी करे
सरकार : सुप्रीम कोर्ट
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
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