Tuesday, September 17, 2013

सरकार से निराशा, अब अदालत से आशा


Updated on: Mon, 16 Sep 2013 07:53 PM (IST)
कानपुर, शिक्षा संवाददाता: यह त्रासदी डिग्री कालेजों के उन मानदेय शिक्षकों की है जिनकी शासनादेश अदालती आदेश के बाद भी नौकरी पक्की नहीं हो रही। मामले को पिछली सरकार ने राजनीतिक चश्मे से देखकर धता बताई तो वर्तमान सरकार वादाखिलाफी की भंवर में उलझाए हुए है। निराश शिक्षकों को अब न्यायालय के रास्ते न्याय मिलने की आशा है। उच्च न्यायालय में दाखिल उनकी अवमानना वाद पर सोमवार को सुनवाई होगी।
सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों में शिक्षकों की कमी के चलते शासन ने 1998 में एक प्रक्रिया तय करके विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित अर्हता के लगभग 450 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाओं को नियुक्ति दी। चयन अनुमोदन शासन द्वारा नामित समिति से किया गया। 2006 में तत्कालीन सपा सरकार ने संशोधन अधिनियम पारित करके 2006 तक निरंतर तीन वर्ष की सेवा करने वाले शिक्षकों को विनियमित करने का फैसला किया। इसके खिलाफ 2006 के बाद नियुक्त शिक्षकों ने न्यायालय में वाद दाखिल किया परंतु न्यायालय ने एक्ट की परिधि में रहे शिक्षकों को विनियमित करने पर रोक नहीं लगाई। इसके बाद सपा सरकार चली गयी। सुश्री मायावती के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मामले को राजनीतिक चश्मे से देखा और फाइल गहरे दफन हो गयी।
इधर सपा सरकार लौटी तो शिक्षकों को उम्मीद बंधी क्योंकि सपा के घोषणापत्र में इसका वादा किया गया था। शिक्षक तभी से लगातार मांग उठा रहे हैं। वे दो बार मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसी बीच मानदेय शिक्षकों की 179 याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई में न्यायालय ने विनियमितीकरण वेतनमान के अनुसार वेतन देने के आदेश जारी किए। फिलहाल शिक्षकों ने न्यायालय के आदेश के बावजूद विनियमितीकरण करने के खिलाफ उच्च न्यायालय में अवमानना वाद दाखिल किया है जिस पर मंगलवार को सुनवाई है।
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खत्म होने वाला सफर
शिक्षकों की नियुक्तियां हुईं: 1998
नियमितीकरण अधिनियम बना : 2006
इस बीच याचिकाएं हो गयीं : 179
संयुक्त सुनवाई हुई : 2009
कोर्ट का नियमितीकरण आदेश : 2010
शीर्षकोर्ट से विरोधी अपील रद : 2013
2006 तक नियुक्त शिक्षक : 450
वर्तमान में मानदेय शिक्षक : 1000
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लगता है कि सरकार की पसंद के शिक्षक सूची में कम हैं इसीलिए बार बार वादा करने के बावजूद शिक्षकों का आमेलन नहीं कर रही है। इस पर मुख्यमंत्री से निर्णायक बात की जाएगी।
- डॉ. विवेक द्विवेदी, पूर्व महामंत्री कूटा।

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