Updated on: Thu, 19 Sep 2013 09:49 PM (IST)
समायोजित किये जाएंगे
सरप्लस घोषित शिक्षक
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : माध्यमिक
शिक्षा राज्य मंत्री विनोद
कुमार सिंह उर्फ
पंडित सिंह ने
विधान परिषद में
गुरुवार को आश्वासन
दिया कि अनुदानित
माध्यमिक विद्यालयों में जनशक्ति
निर्धारण के कारण
सरप्लस घोषित शिक्षकों को
अन्य संबंधित विद्यालयो
के रिक्त पदों
पर यथासंभव समायोजित
किया जाएगा।
शिक्षकों को सरप्लस
घोषित करने और
उनका वेतन रोकने
के मुद्दे पर
गुरुवार को निर्दल
समूह के राज
बहादुर सिंह चंदेल
व चेत नारायण
सिंह ने काम
रोक कर चर्चा
करने की मांग
की थी। उन्होंने
कहा कि जनशक्ति
निर्धारण के आधार
पर सरकार 17 हजार
शिक्षकों को सरप्लस
घोषित कर चुकी
है। माध्यमिक शिक्षा
राज्य मंत्री के
आश्वासन के बाद
सभापति ने कार्यस्थगन
की मांग को
अस्वीकार कर दिया।
इससे पहले प्रश्नकाल
में भाजपा के
महेंद्र सिंह के
सवाल के जवाब
में माध्यमिक शिक्षा
राज्य मंत्री ने
बताया कि सरकार
इंटरमीडिएट कॉलेजों में शारीरिक
शिक्षा के शिक्षकों
की भर्ती पर
विचार कर रही
है। इस पर
जल्द फैसला लिया
जाएगा। शारीरिक शिक्षा के
शिक्षकों की भर्ती
पर 1986 से रोक
लगी हुई है।
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एलआइसी की पॉलिसी
बेच रहे शिक्षा
अधिकारी
प्रश्नकाल के दौरान
बसपा के हरगोविंद
सिंह ने बेसिक
शिक्षा मंत्री राम गोविंद
चौधरी से कहा
कि बाराबंकी में
कई शिक्षा अधिकारी
एलआइसी की पॉलिसी
बेचने का धंधा
कर रहे हैं।
शिक्षा अधिकारी शिक्षकों पर
दबाव डाल कर
उन्हें एलआइसी की पॉलिसी
बेचते हैं। इस
पर मंत्री ने
कहा कि आप
ऐसे अधिकारियों की
लिखित शिकायत कीजिए,
हम उनकी जांच
करा देंगे। दोषी
पाये जाने पर
ऐसे अधिकारियों के
खिलाफ कार्यवाही भी
करेंगे।
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लोहिया ग्राम और हैंडपंपों
की सूची उपलब्ध
कराये सरकार
विधान परिषद में प्रश्नकाल
के दौरान बसपा
के सूरजभान करवरिया
के एक सवाल
के संदर्भ में
सपा के देवेंद्र
प्रताप सिंह ने
शिकायत की कि
गोरखपुर में जिला
योजना समिति की
बैठकों में उनका
या अन्य सदस्यों
का कोई प्रस्ताव
स्वीकार नहीं हुआ।
भाजपा के हृदय
नारायण दीक्षित ने यह
जानना चाहा कि
विधान परिषद के
किन-किन सदस्यों
की संस्तुति के
आधार पर लोहिया
ग्राम और हैंडपंप
स्वीकृत हुए हैं।
इस पर सभापति
ने सरकार को
निर्देश दिया कि
विधान परिषद के
सदस्यों की संस्तुति
पर स्वीकृत किये
गए लोहिया ग्राम
और हैंडपंपों की
सूची उन्हें उपलब्ध
करायी जाए। उन्होंने
गोरखपुर के किसी
जिला पंचायत सदस्य
का प्रस्ताव न
लिये जाने की
जांच किसी वरिष्ठ
अधिकारी से कराने
का निर्देश दिया।
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