लोक शिक्षा केंद्रों की स्थापना व प्रेरकों के चयन की रफ्तार सुस्त
मानदेय का भुगतान न होने से सिर्फ एक-तिहाई धनराशि खर्च
नहीं हो रहा मानदेय का भुगतान साक्षर भारत अभियान के तहत उप्र को अब तक 280.66 करोड़ रुपये मिल चुके हैं लेकिन खर्च हुए हैं सिर्फ 92 करोड़ रुपये। योजना की धनराशि खर्च न हो पाने की वजह यह है कि प्रेरकों को मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है। मानदेय का भुगतान संबंधित ग्राम पंचायत लोक शिक्षा समिति के बैंक खाते से किया जाना है। मानदेय भुगतान इस वजह से अटक रहा है क्योंकि अब तक सिर्फ 42,465 लोक शिक्षा समितियों के बैंक खाते ही खुल पाये हैं। बैंक खाते खुलवानें में तकनीकी दिक्कतें आड़े आ रही हैं
लखनऊ : साक्षरता की अलख जगाने के लिए शुरू किया गया साक्षर भारत
अभियान सूबे में कई झंझावातों से गुजर रहा है। अभियान के तहत चयनित जिलों
की ग्राम पंचायतों में न तो अभी तक लोक शिक्षा केंद्र स्थापित हो पाये हैं,
न ही लोक शिक्षा केंद्रों में प्रेरकों का चयन हो पाया है। सुस्ती का आलम
यह है कि अभियान के लिए जारी की जा चुकी धनराशि का बामुश्किल एक-तिहाई ही
अब तक इस्तेमाल हो पाया है। आठ सितंबर 2009 को देशव्यापी स्तर पर शुरू किया
गया यह अभियान प्रदेश के उन 66 जिलों में चलाया जा रहा है जिनमें वर्ष
2001 की जनगणना में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं की साक्षरता दर 50
फीसद से कम पायी गई थी। 1 अभियान का मकसद पुरुषों और महिलाओं की साक्षरता
दरों के अंतर को घटाकर 10 फीसद तक लाना है। वर्ष 2009-10 में अभियान के
पहले चरण में 26 जिलों का चयन किया गया था। वहीं 2011-12 में दूसरे चरण में
बाकी बचे 40 जिलों में अभियान को लागू करने की मुहिम शुरू हुई। 1लोक
शिक्षा केंद्रों की स्थापना की रफ्तार सुस्त : अभियान के तहत चयनित जिलों
की प्रत्येक ग्राम पंचायत में लोक शिक्षा केंद्र स्थापित किये जाने हैं।
लक्ष्य के मुताबिक पहले चरण के 26 जिलों में 19,964 लोक शिक्षा केंद्र
स्थापित किये जाने हैं चार साल बाद भी अब तक 18,794 ग्राम पंचायतों में ही
केंद्र स्थापित किये जा सके हैं। दूसरे चरण के 40 जिलों की 29,936 ग्राम
पंचायतों में से 25,830 में ही लोक शिक्षा केंद्रों की स्थापना हो सकी है।
1प्रेरकों का चयन हुआ दुश्वार : ग्राम पंचायत में परिवारों का सर्वेक्षण कर
15 वर्ष से अधिक उम्र के निरक्षरों का पता लगाने और स्वयंसेवी शिक्षकों का
चयन करने के लिए प्रत्येक लोक शिक्षा केंद्र में दो प्रेरक नियुक्त किये
जाने हैं। 1पहले चरण के 26 जिलों में 38,928 के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक
36,773 प्रेरकों का चयन किया जा सका है। वहीं दूसरे चरण के 40 जिलों में
59,872 के लक्ष्य के सापेक्ष महज 23,739 प्रेरक ही नियुक्त किये जा सके
हैं। प्रेरकों का चयन ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में गठित ग्राम लोक शिक्षा
समिति करती है। दिक्कत यह है कि प्राय: ग्राम प्रधान प्रेरकों के चयन में
निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं जिसकी वजह से उनके सुझाये
हुए नाम जिला लोक शिक्षा समिति नामंजूर कर देती है।
Source: DJ, 8 Aug,13
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