चुनाव आयोग को दिशा निर्देश जारी करने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश कहा, घोषणाओं से होती है चुनावी प्रक्रिया दूषित
लैपटॉप, टीवी आदि बांटने के वादों पर कोर्ट सख्त 26
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि घोषणा पत्रों में मुफ्त लैपटॉप, टीवी, मिक्सर ग्राइंडर, बिजली का पंखा और सोने की थाली देने जैसी लोक लुभावन घोषणाएं भले जनप्रतिनिधित्व कानून में भ्रष्टाचार की परिभाषा में न आती हो, लेकिन इनसे लोग प्रभावित होते हैं। ये चुनाव प्रक्रिया दूषित करती हैं। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह घोषणा पत्रों में मुफ्त उपहार की लोक लुभावन घोषणाएं रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करे। कोर्ट ने आयोग से कहा कि वह इसे महत्वपूर्ण मानते हुए जल्द से जल्द अंजाम दे। कोर्ट ने राजनैतिक दलों को नियमित करने के लिए अलग कानून बनाने की जरूरत पर भी बल दिया। 1न्यायमूर्ति पी. सतशिवम व न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने शुक्रवार को यह फैसला तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में द्रमुक और अन्नाद्रमुक के घोषणा पत्रों में मुफ्त उपहारों की घोषणा को चुनाव के भ्रष्ट तरीके बताने वाली एस सुब्रमण्यम बालाजी की याचिका का निपटारा करते हुए सुनाया। पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 324 के तहत निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने और विभिन्न उम्मीदवारों के बीच बराबरी का मौका स्थापित करने के लिए चुनाव आयोग आदर्श चुनाव संहिता जैसे दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। 1पीठ ने कहा कि उन्हें मालूम है कि चुनाव आयोग सिर्फ चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद ही कोई कार्रवाई कर सकता है और चुनाव घोषणापत्र चुनाव की तिथि लागू होने से पहले जारी होते हैं। ऐसी स्थिति में इस मामले को अपवाद माना जाएगा क्योंकि चुनाव घोषणा पत्र सीधे तौर पर चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा होता है। हालांकि, कोर्ट ने याचिका पर सीधे तौर पर कोई आदेश देने से इन्कार करते हुए कहा कि जब तक ऐसी घोषणाएं योजना का रूप न ले लें, उन्हें लागू करने के लिए उचित विधेयक और पैसा न जारी हो तब तक कोर्ट उसमें दखल नहीं दे सकता। कोर्ट सरकार के कामकाज में तभी दखल दे सकता है जबकि वह काम असंवैधानिक या गैरकानूनी हो। 1 सरकारी बंगलों से अवैध कब्जा हटाए सरकार-
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