लखनऊ
: प्रदेश के राजकीय आयुर्वेद और होम्योपैथ कॉलेजों में दाखिले पर रोक लगा
दी गई है। गुरुवार से शुरू हो रही सीपीएमटी काउंसिलिंग में इन कॉलेजों को
शामिल नहीं किया जाएगा। यह हालात मान्यता न मिलने की वजह से पैदा हुए हैं।
इसका खामियाजा दाखिले की आस में बैठे हजारों अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ेगा।
भारत सरकार के आयुष विभाग की तरफ से दोनों विभागों को पत्र भेज दिया गया
है। पत्र से अफरातफरी मच गई है।
प्रदेश में सात राजकीय आयुर्वेद कॉलेज हैं। इनमें बैचलर ऑफ आयुर्वेद
मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की 320 सीटें हैं। वहीं होम्योपैथ के सात
कॉलेजों को भी मान्यता नहीं मिली है। इन कॉलेजों में बैचलर ऑफ होम्योपैथिक
मेडिकल एंड सर्जरी (बीएचएमएस) की 300 सीटें हैं। दोनों विभागों के कॉलेजों
को मान्यता नहीं मिली है। मानक पूरे न होने से केंद्र सरकार के आयुष विभाग
यह फैसला किया है। लिहाजा सत्र 2013-14 में दाखिले पर रोक लगा दी है।
हालांकि अधिकारियों ने दूसरे चरण की काउंसलिंग तक मान्यता मिलने की उम्मीद
जाहिर की। पहले चरण की काउंसिलिंग 24 जुलाई तक चलेगी।
इनका भविष्य दांव पर
इनका भविष्य दांव पर
सत्र 2011 में बिना मान्यता पांच राजकीय आयुर्वेद कॉलेजों ने
अभ्यर्थियों को एडमिशन दे दिया था। नतीजतन सीसीआइएम ने करीब 250 छात्रों की
परीक्षा पर रोक लगा दी है। छात्र अब भी परीक्षा कराने की मांग को लेकर भटक
रहे हैं।
जिम्मेदार बोले
सीपीएमटी के पहले चरण की काउंसिलिंग में अभ्यर्थी हिस्सा नहीं ले
पाएंगे। दूसरे चरण की काउंसिलिंग तक मान्यता मिल जाए इसकी कोशिश की जा रही
है।
डॉ. आरआर चौधरी, निदेशक, आयुर्वेद विभाग
केंद्र सरकार के आयुष विभाग ने दाखिले पर रोक लगा दी है। निर्देशों का पालन किया जा रहा है। मान्यता के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. बी. प्रसाद, निदेशक, होम्योपैथिक विभाग
यहां हैं कॉलेज
-प्रदेश में आयुर्वेद कॉलेज लखनऊ, पीलीभीत, बरेली, इलाहाबाद हंडिया, मुजफरनगर, बांदा और झांसी में हैं।
-प्रदेश में होम्योपैथ कॉलेज लखनऊ, इलाहाबाद, गाजीपुर, आजमगढ़, मुरादाबाद, कानपुर और इलाहाबाद में हैं।
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