
परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के लगभग पौने तीन लाख पद खाली हैं। इनमें प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों के दो लाख से अधिक पद हैं। इसके अलावा उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 58 हजार से अधिक पद खाली हैं। शिक्षक न होने के कारण जहां कुछ विद्यालय बंद हैं, वहीं कई स्कूल एक अध्यापक के भरोसे चल रहे हैं। सरकार की मंशा है कि शिक्षकों के 72,825 रिक्त पदों पर भर्ती कर इस कमी को कुछ हद तक पूरा कर लिया जाए। शिक्षकों के 72,825 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए वर्ष 2010 से जिद्दोजहद चल रही है लेकिन अभी तक यह अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पायी है। शिक्षक भर्ती के लिए नवंबर 2011 में आयोजित टीईटी पर भ्रष्टाचार का ग्रहण लगने और 2012 के विधानसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लग जाने के कारण उस समय यह भर्ती नहीं हो सकी। इसके बाद काफी समय बीएड डिग्रीधारकों को शिक्षक नियुक्त करने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से समयसीमा बढ़वाने में लग गया।
समयसीमा को 31 मार्च 2014 तक बढ़ाने के बाद जब इस साल 72,825 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई तो मामला हाइ कोर्ट में पहुंच गया। अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी कर ली है और अपने निर्णय को सुरक्षित कर लिया है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अदालत का फैसला यदि शासन के पक्ष में भी आता है तो भी जुलाई से शुरू होने वाले नये सत्र से पहले 72,825 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर पाना मुमकिन नहीं है। इसलिए परिषदीय स्कूलों में नये सत्र का आगाज शिक्षकों की किल्लत से होना तय है।
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