फर्रुखाबाद: सरकारी सम्मान की यही हालत है| खबर है कि फर्रुखाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक को जल्द ही केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी सम्मानित करने वाली है| उन्हें ये सम्मान शिक्षा जगत में अच्छा कार्य करने के लिए मिलेगा| मगर सोमवार को जिले में आये माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने तो जिला विद्यालय निरीक्षक भगवत पटेल की तो पोल ही खोल करके रख दी| समय काटने के लिए ही सही मुख्यालय पर दो इंटर कॉलेज का औचक निरीक्षण कर मंत्री जी ने जिले की शिक्षा गुणवत्ता को शून्य घोषित कर दिया| ये दोनों कॉलेज जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से सटे हुए है| वे स्वयं कक्षाओ में गए और उपस्थिति के नाम पर मिले दो चार बच्चो से ही सवाल कर बैठे| जबाब नहीं पाये बच्चे| मगर इसी जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक को केंद्रीय मंत्री के हाथो सम्मान मिलने वाला है|
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Tuesday, November 11, 2014
आधे अधूरे अभिलेखो से काउंसलिंग में परेशानी !
अब बीटीसी कालेज ले सकेंगे सीधे दाखिला : सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने शासन को भेजा प्रस्ताव
इलाहाबाद। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश इलाहाबाद ने वर्ष 2014-15 के दो वर्षीय बीटीसी कोर्स में प्रवेश के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। संभावना है कि शासन शीघ्र प्रवेश के लिए मंजूरी देगा। इस बार शासन ने निजी बीटीसी कालेजों में प्रवेश की प्रक्रिया बदल दिया है। डायट में काउंसलिंग करके अभ्यर्थियों को निजी बीटीसी कालेजों में भेजने की बजाय निजी बीटीसी कालेज स्वयं अपनी 50-50 सीटों पर अभ्यर्थियों का प्रवेश लेकर कक्षाएं चलाये। इन बीटीसी कालेजों की मानीटरिंग जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट)करेंगा।
सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं सिर्फ गरीब बच्चे : बोले बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह
- मंत्री बोले- सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं सिर्फ गरीब बच्चे
- यूपी में अभी 1950 प्राइमरी स्कूलों की जरूरत
- राज्यमंत्री ने कहा, संपन्न परिवारों के बच्चों के लिए है मांटेसरी स्कूल
लखनऊ। सूबे के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे ही पढ़ने जाते हैं। संपन्न परिवारों के बच्चों के लिए तो मांटेसरी स्कूल हैं। ये बातें सोमवार को बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह ने राजधानी में पैक्स और विज्ञान फाउंडेशन की ओर से आयोजित विद्यालय प्रबंध समितियों के जिलास्तरीय अधिवेशन में कही। इस तरह उन्होंने बता दिया कि सरकार के संचालित प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई का स्तर किस तरह गिर गया है।
मॉडल स्कूल नए सत्र से दाखिले को तैयार : 1158 शिक्षकों की होगी भर्ती
अभिभावकों की जेब मोटी नहीं है और वे चाहकर भी अपने बच्चों को केंद्रीय विद्यालय या फिर निजी स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न पर शिक्षा नहीं दिला पा रहे हैं तो अब उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसे अभिभावक आगामी एक अप्रैल से शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र से मॉडल स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा सकेंगे। इन स्कूलों में बच्चों को वैसी ही शिक्षा दी जाएगी जैसी केंद्रीय विद्यालयों या फिर बड़े स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न पर दी जा रही है। माध्यमिक शिक्षा विभाग नए सत्र से पहले चरण में करीब 148 मॉडल स्कूलों में पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी कर रहा है।
इस सत्र में तो नहीं होंगे बेसिक शिक्षकों के तबादले : लगभग आधा सत्र बीता, जारी नहीं हुई तबादला नीति
- लगभग आधा सत्र बीता, जारी नहीं हुई तबादला नीति
- शिक्षकों के संगठन ने समायोजन का किया था विरोध
इलाहाबाद : यह शैक्षिक सत्र भी तबादला शून्य होने की ओर है। आधा सत्र बीत चुका है, अब तक शासन ने नई नीति जारी नहीं की है। शिक्षकों ने समायोजन किए जाने का विरोध किया था जिसके बाद न तो समायोजन हुआ और न ही तबादला। खास बात यह है कि जिस वजह से तबादला नीति को लंबित किया गया था वह प्रक्रिया अभी जारी है और जिस तरह से कार्य हो रहा है उससे अभी कई माह और लगना तय है। ऐसे में चालू सत्र में शिक्षकों का तबादला हो पाना मुश्किल ही है।
बीटीसी प्रशिक्षण ले रहे शिक्षा मित्रों की परीक्षा 28 नवंबर से शुरू होंगी
लखनऊ(ब्यूरो)। बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त रहे शिक्षा मित्रों और समाज कल्याण विभाग के स्कूलों के अप्रशिक्षित शिक्षकों की परीक्षाएं 28 नवंबर से शुरू होंगी। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी नीना श्रीवास्तव ने जिलेवार राजकीय इंटर कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाया है।
पूरे प्रदेश में 47 लाख बच्चों ने की पढ़ाई से तौबा : बेसिक शिक्षा के हाउस होल्ड सर्वे में हुआ खुलासा
- प्राइमरी व जूनियर शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
- सूबे के 47 लाख बच्चे छोड़ गए स्कूल
प्रत्येक बच्चे को शिक्षित करने के लिए चलाए गए सर्वशिक्षा व स्कूल चलो अभियान सूबे में दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। हाउस होल्ड सर्वे के यदि आंकड़ों पर गौर किया जाए तो एक साल में प्रदेश के 47 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है। ये सभी बच्चे छह से 14 वर्ष की उम्र के हैं और ये कक्षा आठ तक उत्तीर्ण नहीं कर सके। इससे पहले ही इन्होंने बस्ता खूंटी पर टांग दिया। इस खुलासे ने प्रदेश की प्राइमरी व जूनियर शिक्षा व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
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