Friday, December 12, 2014

फिर कठघरे में कर्मचारी चयन आयोग

  • अभ्यर्थियों में लगातार बढ़ता जा रहा असंतोष, 
  • पहले भी कई परीक्षाओं को लेकर उठी हैं उंगलियां
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : कभी विश्वसनीयता का पर्याय माने जाने वाले कर्मचारी चयन आयोग के खिलाफ अभ्यर्थियों का गुस्सा अनायास नहीं है। पिछले कुछ सालों से आयोग की साख लगातार घट रही है और अपनी परीक्षाओं के इंतजाम को लेकर वह कठघरे में आता जा रहा है। यहां आयोग कार्यालय पर प्रदर्शन को उमड़े अभ्यर्थी बेङिाझक सवाल उठाते हैं-‘सफल होने वालों की सूची में आखिर हरियाणा, दिल्ली और पश्चिम के छात्रों की ही भरमार क्यो?’ हालांकि इस सवाल का जवाब दे पाना आयोग के मध्य क्षेत्र कार्यालय की सामथ्र्य के बाहर है।
यह पहला अवसर नहीं है जबकि आयोग 
कार्यालय के बाहर इस तरह का प्रदर्शन हुआ है। लगभग दो साल पहले आयोग के इलाहाबाद कार्यालय पर मूल्यांकन में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर छात्रों का जमावड़ा हुआ था। तब छात्रों की शिकायतों को दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय भेजा गया था। इसके बाद परीक्षाओं में नकल माफिया की पैठ ने आयोग की रही सही विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए। जिस संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों में असंतोष है, उसमें भी यूपी में तीन दर्जन से अधिक नकलची पकड़े गए थे और पूरे नेटवर्क की बात सामने आई थी। इस परीक्षा को रद कर दोबारा कराया गया था लेकिन अभ्यर्थियों में असंतोष दोबारा बढ़ गया। अभ्यर्थियों की मानें तो आयोग ने और पारदर्शी होने के बजाए बचाव के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं जिससे और भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। पहले वेबसाइट पर सभी प्रतियोगियों को मिले अंकों का विवरण सबके लिए सुलभ रहता था लेकिन अब सिर्फ प्रतियोगी अपने ही नंबर देख सकता है। इससे भी अनियमितताओं की आशंकाओं को बल मिलता है। बाहर से आकर यूपी में परीक्षा देने वालों की बढ़ती संख्या ने भी कुछ गड़बड़ होने के संकेत दिए। 
कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में उत्तर प्रदेश में हर साल लाखों छात्र शामिल होते हैं। परीक्षाओं में ‘मुन्ना भाइयों’ के शामिल होने के तमाम मामले सामने आ चुके हैं। हरियाणा से इस परीक्षा में अभ्यर्थियों को बैठाने का नेटवर्क संचालित होने की खबरें भी चर्चा में रही हैं। यहां तक कि सीबीआइ ने भी कुछ साल पहले नोएडा, इलाहाबाद और लखनऊ से कुछ लोगों को बंदी बनाया था। दिल्ली पुलिस भी कई लोगों को यहां गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन हाइटेक नकल माफिया को पूरे तंत्र से समूल नहीं हटाया जा सका। 
इस वजह से भी छात्र परिणाम को लेकर आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं।

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