Monday, December 8, 2014

शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का विवादों से है पुराना नाता


लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन भले ही अच्छे मकसद के लिए किया गया हो पर इसका विवादों से पीछा नहीं छूट पा रहा है। कार्यवाहक अध्यक्ष की मनमानी का मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया था कि एक बार फिर आयोग सुर्खियों में है। इस बार सदस्यों द्वारा बोर्ड के अध्यक्ष को बंधक बनाने का मामला सामने आया है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली से लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस मामले में बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. परशुराम पाल से पूरे मामले की जानकारी ली है।

सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में प्रशिक्षित शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की भर्ती के लिए गठित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा 10 सदस्य होते हैं। मौजूदा समय अध्यक्ष के अलावा सात सदस्य हैं। चयन बोर्ड पहली बार उस समय चर्चा में आया जब वरिष्ठ सदस्य आशाराम को इसका कार्यवाहक अध्यक्ष बना दिया गया। 

उनके कार्यकाल में प्रधानाचार्यों के साक्षात्कार में गड़बड़ी के आरोप लगे। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक से हुई और विधान मंडल के दोनों सदनों में जमकर हंगामा भी हुआ, जिसके चलते राज्य सरकार की काफी फजीहत हुई। 

हालांकि तत्कालीन तत्कालीन प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा मनोज कुमार सिंह ने साक्षात्कार रोक दिया था और मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी गई। किरकिरी के बाद डॉ. परशुराम पाल को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का नया अध्यक्ष बनाया गया। कुछ दिनों तक मामला शांत रहा, लेकिन हाल में फिर बोर्ड विवादों में आ गया। बोर्ड के अध्यक्ष ने प्रशिक्षित शिक्षक भर्ती का कार्यक्रम जारी किया है। कहा जाता है कि कुछ सदस्यों को यह बात नागवार गुजरी। वे चाहते हैं कि पहले प्रधानाचार्यों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए और बाद में अन्य भर्तियां हों। इसको लेकर ही सारा हंगामा बताया जा रहा है।

कुछ सदस्यों ने मेरे साथ बुरा बर्ताव किया। मैं दबाव में काम नहीं करूंगा। प्रधानाचार्य और शिक्षक भर्ती में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। अमर्यादित व्यवहार मामले में माध्यमिक शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने मुझसे पूछा था। मैंने पूरी घटना की जानकारी दे दी है।

- डॉ. परशुराम पाल, अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड

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